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नागपुर दंगा, चादर जलाने वाला शख्स बोला- वो साड़ी थी: एडिटेड वीडियो से दंगा फैलाया, मुस्लिम बोले- वो दरगाह की चादर थी


‘हम छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर आंदोलन कर रहे थे। हमने वहीं प्रतीक के तौर पर औरंगजेब की कब्र जलाई। ये घास-फूस और कचरे से बनी थी। एक साड़ी जैसा कपड़ा भी था, जो हमारे कार्यकर्ता को सड़क किनारे पड़ा मिला था। उस पर कोई आयत नहीं लिखी थी। ये अफवाह है क

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अमोल ठाकरे नागपुर में विश्व हिंदू परिषद के शहर मंत्री हैं। वे औरंगजेब की कब्र ढहाने की मांग पर किए प्रोटेस्ट में शामिल थे। तारीख थी 17 मार्च। जगह नागपुर का महाल एरिया। इसी प्रोटेस्ट में मजार पर चढ़ाई जाने वाली चादर जैसा दिख रहा हरे रंग का कपड़ा जलाया गया। अफवाह उड़ी की कपड़े पर कुरान की आयतें लिखी थीं। इसके बाद नागपुर में हिंसा भड़क गई।

हालांकि, महाराष्ट्र के CM देवेंद्र फडणवीस विधानसभा में कह चुके हैं कि जलाई गई चादर पर आयत नहीं थी। धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले में अमोल ठाकरे समेत 9 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। ये केस हिंसा भड़कने से पहले दर्ज किया गया था। मुस्लिम समुदाय का कहना है कि प्रोटेस्ट के दौरान दरगाह पर चढ़ाने वाली चादर जलाई गई थी।

प्रोटेस्ट में क्या हुआ था, हिंसा कैसे भड़की और उसके बाद माहौल कैसा है, इस पर हमने अमोल ठाकरे के अलावा आम लोगों, आरोपियों के परिवार, वकील और पुलिस कमिश्नर से बात की।

अमोल ठाकरे बोले- कपड़े पर फूल-पत्ती बनी थी, आयत जलाने की बात गलत 17 मार्च के प्रोटेस्ट के बारे में अमोल ठाकरे बताते हैं, ‘विश्व हिंदू परिषद ने औरंगजेब की कब्र उखाड़ फेंकने का आह्वान किया था। छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर हम महाल में आंदोलन कर रहे थे। यह आंदोलन 11:30 से 12:30 बजे तक चला। हमने पुलिस को पहले ही बता दिया था। इसलिए पुलिसवाले भी मौजूद थे।’

‘हमने प्रतीक के तौर पर औरंगजेब की कब्र और उसके पोस्टर जलाए। इसके बाद कलेक्टर साहब को ज्ञापन देने गए। ज्ञापन देकर लौटे, तो हमारे पास फोन आने लगे कि कुछ मुसलमान नारे लगाते आए थे। कह रहे थे कि औरंगजेब हमारा बाप है, आलमगीर है, शहंशाह है, उसकी कब्र को हाथ लगाने वालों के हाथ तोड़ देंगे।’

‘पुलिस ने लाठीचार्ज किया और वे लोग भाग गए। यह घटना दोपहर 1 बजे हुई थी। इसके बाद 200-300 लोग आए और हंगामा करने लगे। वे हम पर हमला करने आए थे। इसके बाद वे गणेशपेठ पुलिस चौकी गए और हमें गिरफ्तार करने की मांग करने लगे।’

शाम 6:30 बजे के बाद हुई हिंसा सोची-समझी साजिश थी। दो-दो ट्रक पत्थर मिले, गाड़ियां जलाई गईं और हिंदुओं के घरों को टारगेट किया गया। शाम करीब 7 बजे के आसपास एक मस्जिद से 500-600 लोग निकले। उन्होंने दंगा किया।

सवाल: औरंगजेब की फोटो के साथ जो कपड़ा जलाया, क्या वो मजार पर चढ़ने वाली चादर थी? जवाब: नहीं, साड़ी जैसा कपड़ा था। उन्होंने (मुस्लिम पक्ष) आरोप लगाया है कि हम मस्जिद से चादर लाए थे। ये झूठ है। प्रोपेगैंडा है।

सवाल: फोटो में दिख रहा है कि कपड़े पर कुछ लिखा है, क्या आपको उर्दू आती है? जवाब: नहीं, उर्दू या अरबी नहीं आती। उस कपड़े पर साड़ी जैसे चित्र थे, फूल-पत्ती वगैरह।

सवाल: चादर जलाने का तो वीडियो भी है? जवाब: वो एडिटेड है। सोची-समझी साजिश हो रही है। वीडियो और फोटो से छेड़छाड़ हुई है।

सवाल: क्या FIR में नाम आने के बाद आपको डर लग रहा है? जवाब: नहीं, हमारे मन में कोई डर नहीं है। हमारे एक कार्यकर्ता के घर 150 मुसलमानों ने हमला किया। हमने रिपोर्ट दर्ज कराई है।

कमिश्नर बोले-फोटो की फोरेंसिक जांच करवा रहे प्रोटेस्ट की फोटो से छेड़छाड़ के दावे पर हमने नागपुर के पुलिस कमिश्नर रविंद्र सिंघल से बात की। वे कहते हैं, ‘कई फोटो एडिट करके सोशल मीडिया पर वायरल की गई हैं। सभी की फोरेंसिक जांच करवा रहे हैं। फोटो वायरल करने वालों और इसे मजहबी रंग देने वालों के खिलाफ साइबर एक्ट में केस दर्ज कर रहे हैं।’

‘अब तक 80 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। 11 नाबालिग हिरासत में हैं। हिंसा करने वालों को बांग्लादेश से फंडिंग की जांच चल रही है। हम हर जानकारी वैरिफाई कर रहे हैं। साजिश वाले एंगल से भी जांच चल रही है।’

मुस्लिम बोले- नमाज पढ़ने गए लोगों को पुलिस ने अरेस्ट किया हम महाल के मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में भी गए। यहां हमें रिहाना मिलीं। रिहाना बदला हुआ नाम है क्योंकि डर की वजह से वे अपनी पहचान नहीं बताना चाहतीं। उनके दो भाई नदीम और वसीम को पुलिस ने अरेस्ट किया है।

रिहाना बताती हैं, ‘17 मार्च की दोपहर 12:30 बजे VHP और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने एक चादर जला दी। उस पर कुरान शरीफ की आयतें लिखी थीं। इसी वजह से दंगा भड़का। शाम 7 बजे हम नमाज पढ़कर बैठे थे। दंगा हमारे घर के सामने ही हुआ। लोग गणेश पेठ पुलिस स्टेशन की ओर जा रहे थे। उनमें से कुछ लोगों ने पथराव शुरू कर दिया।’

रिहाना बताती हैं, ‘हमारे अब्बू रफीक खान का 6 महीने पहले इंतकाल हो गया था। भाई नदीम इंजीनियर हैं। वसीम मोबाइल शॉप चलाते हैं। दोनों नमाज पढ़ने मस्जिद गए थे। तरावीह की नमाज लंबी होती है, इसलिए वे देर तक मस्जिद में ही रुके रहे। इसी दौरान दंगे भड़क गए। हमें पता चला कि भीड़ तोड़फोड़ कर रही है, आग लगा रही है। मैंने भाइयों को फोन किया कि मस्जिद में ही रहो, बाहर निकलना सेफ नहीं है।’

‘रात करीब 12-12:30 बजे पुलिस ने हालात पर कंट्रोल कर लिया, तब भाई घर लौटे। वे घर में घुसे ही थे कि पीछे-पीछे पुलिसवाले आ गए। बोले कि हम परिवार के सदस्यों की गिनती और पूछताछ करना चाहते हैं। भाइयों ने पुलिस को बताया कि हम नमाज पढ़कर आ रहे हैं। हमारा दंगों से कोई लेना-देना नहीं है। पुलिसवालों ने कहा कि हम जांच के लिए आए हैं और आपकी मदद करेंगे।’

‘पुलिस पर भरोसा करके हमने दरवाजा खोल दिया। यही हमारी गलती थी। पुलिसवाले घर में घुस आए और भाइयों को धक्का देते हुए ले जाने लगे। हमारी एक नहीं सुनी। बोले कि ज्यादा बोलोगी तो तुम्हें भी ले जाएंगे।’

‘पुलिस ने कहा था कि नदीम और वसीम को सिर्फ डिटेन कर रहे हैं। सुबह 10 बजे छोड़ देंगे। भाई नहीं लौटे, तो हम पुलिस स्टेशन गए। वहां हमसे बहुत बुरी तरह बात की गई और भगा दिया। डर है कि झूठे आरोप लगाकर उन्हें जेल में डाल देंगे।’

मुस्लिम बस्तियों में मिली महिलाओं ने बताया कि ज्यादातर परिवारों के पुरुष गिरफ्तारी के डर से फरार हैं।

आरोपी के वकील बोले- पुलिस ने रात में घर से लोगों को उठाया नागपुर हिंसा में पुलिस ने करीब 100 लोगों को पकड़ा है। इनमें से 27 के केस आसिफ लड़ रहे हैं। आसिफ कहते हैं कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने आपत्तिजनक चीजें जलाईं। अगर वे ऐसा नहीं करते, तो दंगा नहीं होता।’

‘भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने पथराव किया। कई लोग सिर्फ तमाशा देखने के लिए खड़े थे। इसका मतलब यह नहीं कि सभी आरोपी हैं। पुलिस ने ऐसे लोगों को भी गिरफ्तार किया है, जो नमाज पढ़कर जा रहे थे या अपनी दुकान बंद करके निकल रहे थे। कुछ लोगों को तो घर से निकालकर आरोपी बनाया गया है।’

‘फहीम की बात सुनी होती तो दंगे नहीं होते’ पुलिस का दावा है कि माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी का शहर अध्यक्ष फहीन खान दंगे का मास्टरमाइंड है। आसिफ अलग बात बताते हैं। कहते हैं, ‘फहीम खान ने घटना वाले दिन दोपहर 2:30 बजे पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी कि बजरंग दल के लोग गलत हरकतें कर रहे हैं। अगर पुलिस उसी समय कार्रवाई करती, तो यह घटना नहीं होती। पुलिस ने तब कहा कि आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।’

फहीम समेत 6 लोगों पर देशद्रोह का केस नागपुर में सोमवार को हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने फहीम खान सहित 6 लोगों पर देशद्रोह का केस दर्ज किया है। हिंसा में शामिल होने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने का आरोप है। साइबर पुलिस थाने में 4 मामले दर्ज किए गए हैं।

250 पोस्ट करने वाले 172 सोशल मीडिया हैंडलर्स की तलाश है। 50 से ज्यादा आरोपियों की पहचान हो चुकी है। फहीम खान समेत 6 लोगों पर वीडियो वायरल करने का आरोप है, जो एक प्राइवेट ग्रुप से शेयर किया गया था।’

फहीम के एक और साथी की तलाश पुलिस के मुताबिक, महाल में हिंसा से पहले गिट्टीखदान में एक मीटिंग हुई थी। उसमें फहीम खान का एक साथी मौजूद था। सूत्रों के अनुसार, उसका नाम सैयद आसिम है।

फहीम और सैयद आसिम माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े रहे हैं। ये पार्टी करीब 15 साल पहले नागपुर में ही बनाई गई थी। बाद में आसिम को पार्टी से सस्पेंड कर दिया गया। हमने फहीम पर लगे आरोपों पर पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष इंजीनियर मोहम्मद हामिद से बात की।

सवाल: फहीम पर लगे आरोपों पर पार्टी का क्या स्टैंड है? जवाब: उन्हें बिना वजह फंसाया जा रहा है। ये राजनीतिक आरोप हैं।

सवाल: पुलिस का दावा है कि फहीम की वजह से 500 से ज्यादा लोग जमा हुए और हिंसा फैलाई? जवाब: फहीम ने ऐसा कोई स्टेटमेंट या वीडियो नहीं डाला, जिससे लोगों को बुलाया गया हो। 17 तारीख को बजरंग दल ने दरगाह की चादर का अपमान किया। फेसबुक पर वीडियो डाला, जिसमें चादर को पैरों से रौंदा जा रहा था। लोगों को लगा कि यह औरंगजेब के लिए किया जा रहा है।

लोगों ने देखा कि यह बाबा ताजुद्दीन की दरगाह की चादर है, तो वे नाराज हो गए और पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराने गए। धीरे-धीरे लोग जमा हुए। फहीम भी गए, लेकिन वह लोगों को लेकर नहीं गए। उन पर लगा आरोप गलत है। आप CCTV चेक कर सकते हैं।

मैं पुलिस से कह रहा हूं कि एक भी भड़काऊ भाषण का वीडियो दिखाएं। उसने वीडियो डाला कि पुलिस FIR दर्ज नहीं कर रही है, यह हर बार का तमाशा है। फहीम को फंसाकर बजरंग दल वालों को बचाया जा रहा है।

सवाल: पथराव और पुलिसवालों पर हमला तो हुआ है? जवाब: वह दूसरी घटना है। हमारे पार्टी के लोगों का बयान 3 से 5 बजे तक लिया गया, फिर वे चले गए। 7 बजे के बाद पुलिस ने बजरंग दल वालों को शिवाजी स्टैच्यू के पास लाकर नारे लगवाए। इन्हीं लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। यह पुलिस के प्रोटेक्शन में हुआ। तब यह सब शुरू हुआ। पुलिस यह क्यों कर रही है।

हमारी पार्टी का इसमें कोई रोल नहीं है। पुलिस पर हमला करने वालों को गोली मारो। क्या पुलिस इतनी कमजोर हो गई है। हम लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने की अपील करते हैं।

सवाल: VHP के लोगों का कहना है कि उन्होंने साड़ी जलाई थी, उसमें आयत नहीं थी। क्या फोटो एडिट करके वायरल की जा रही है? जवाब: कोई एडिटिंग नहीं की है। यह उनका ही वीडियो है।

सवाल: हिंसा से बांग्लादेश का कनेक्शन जोड़ा जा रहा है, इस पर क्या कहेंगे? जवाब: यह पूरी तरह गलत है। बांग्लादेश की घटनाओं का हमारी पार्टी ने विरोध किया था। हमने जमात-ए-इस्लामी को भारत में बैन करने की मांग की थी।

सवाल: आगे पार्टी का क्या स्टैंड होगा? जवाब: हमने FIR दर्ज करने की मांग की थी। उन्होंने विटनेस लिए, हमारा रोल खत्म हो गया। हम चाहेंगे कि चार्जशीट दाखिल हो।

हिंदू बोले- नागपुर में कभी दंगा नहीं देखा, ऐसा पहली बार हुआ महाल में छत्रपति शिवाजी महाराज का स्टैच्यू बना है। यहां आसपास हिंदू आबादी रहती है। हिंसा के बाद से सभी दुकानें और घरों के दरवाजे बंद हैं। एक घर के बाहर 80 साल के बबनराव दुर्गे मिले। बबनराव बताते हैं, ‘मैं दंगे का चश्मदीद हूं। 80 साल उम्र हो गई। मेरा परिवार 150 साल से यहीं रह रहा है।’

‘19 फरवरी को सभी पार्टियों ने मिलकर शिव जयंती मनाई। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल वालों ने 17 फरवरी को शिव जयंती मनाई थी। शाम 5:30-6 बजे तक सब शांत था। 6 बजे रोजे खोलने के बाद, नमाजी मस्जिदों से निकले और सीधे छत्रपति शिवाजी महाराज के स्टैच्यू की ओर बढ़ने लगे। जाफर नगर से लेकर मोमिनपुरा तक, जहां मस्जिदें हैं, वहां से लोग आए। आधे घंटे में बहुत भीड़ जमा हो गई।’

‘मुझे नहीं पता कि मस्जिदों में कोई ऐलान हुआ या नहीं, लेकिन सभी रोजेदार उधर ही आए। पुलिस ने चिटनिस पार्क चौक और शुक्रवारी में बैरिकेड लगाए थे, ताकि लोग छत्रपति शिवाजी के स्टैच्यू तक न पहुंच सकें। पुलिस ने उन्हें रोका, तो पत्थरबाजी शुरू हो गई।’

‘अभी डर नहीं है। रमजान की वजह से सब शांत हैं। लोग एक-दूसरे की गलियों में आ-जा रहे हैं। मुझे लगता है कि हमला करने वाले बाहर के नहीं, नागपुर के ही थे। उन्होंने तय कर लिया था कि रोजा खोलने के बाद वहां जाकर देखेंगे। जाफर नगर से लेकर सभी मस्जिदों से नमाजी आए थे।’

लोग बोले- जिन्हें जो करना था कर गए, हम भुगत रहे हिंसा के बाद नागपुर के 11 थाना एरिया में कर्फ्यू लगा दिया गया था। अब इसमें ढील दी जा रही है। नंदनवन और कपिल नगर थाना क्षेत्र में गुरुवार को दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक कर्फ्यू में 2 घंटे की छूट दी गई।

दो दिन घर में बंद रहने के बाद अक्षय सामान खरीदने निकले थे। वे बताते हैं, ‘हिंसा वाले दिन लोग किसी की सुन नहीं रहे हैं। बस तोड़फोड़ कर रहे हैं। उन्हें जो करना था, वे तो करके चले गए। आम लोगों को बहुत तकलीफ हो रही है।

पुलिस सोशल मीडिया अकाउंट खंगाल रही, NIA ने भी जांच शुरू की पुलिस ने 4 में से दो FIR में देशद्रोह की धाराएं लगाई हैं। NIA भी जांच कर रही है। NIA दंगों और देश-विरोधी संगठनों के बीच कनेक्शन, विदेशी फंडिंग और टूलकिट पैटर्न के इस्तेमाल की जांच कर रही है।

हिंसा भड़काने वाले वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे एक्स, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर वायरल हुए थे। पुलिस इन प्लेटफॉर्म से वीडियो, पोस्ट और अकाउंट की जानकारी मांग रही है, ताकि आरोपियों तक पहुंचा जा सके। करीब 60% विवादित वीडियो डिलीट किए जा चुके हैं।

इस तरह की पोस्ट दोनों तरफ से की गई थीं। इन्हें वसीम, फिरोज, मुजम्मिल, फैजू, फैजल, रॉकी भाई, महेंद्र, पिजूश घोष और जकाश नाम के अकाउंट से किए जाने की जानकारी सामने आई है।

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नागपुर हिंसा पर ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़ें बाबरी ढही तो भी शांत था शहर, वीडियो वायरल कर दंगा फैलाने वाले कौन

6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराया गया। यूपी, गुजरात, दिल्ली, एमपी के अलावा पूरे महाराष्ट्र में दंगे भड़क गए। उस वक्त भी शांत रहा नागपुर 17 मार्च, 2025 को औरंगजेब की कब्र ढहाने की मांग पर सुलग उठा। अफवाह फैली कि VHP और बजरंग दल के प्रोटेस्ट में कुरान की आयतें जलाई गई हैं। आरोप है कि वीडियो वायरल करके हिंसा फैलाई गई। पढ़िए पूरी खबर…



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