यात्रा शहर के कई मार्गों से गुजरी।
बालाघाट के 300 वर्ष पुराने शीतला माता मंदिर से सोमवार को शोभायात्रा निकाली गई। चैत्र नवरात्र के समापन के बाद यह ज्वारा कलश विसर्जन यात्रा आयोजित की गई। शोभायात्रा में महिलाएं सिर पर ज्वारा कलश के साथ जलते अंगारों से भरे खप्पर लेकर चलीं।
.
युवाओं ने अपनी आस्था का प्रदर्शन करते हुए गालों में त्रिशूल भेदकर यात्रा में भाग लिया। मां शीतला समाजसेवा समिति के सचिव प्रवीण नन्हेट के अनुसार, प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्र पर मंदिर में ज्वारा कलश की स्थापना की जाती है। नौ दिनों की विधिवत पूजा-अर्चना के बाद दसवें दिन यह विशेष शोभायात्रा निकाली जाती है।
सिर पर ज्वारे रखकर शोभायात्रा में चली महिलाएं।
यह शोभायात्रा बैहर रोड स्थित मंदिर से शुरू होकर मोती तालाब तक जाती है। यहां ज्वारा कलश का विसर्जन किया जाता है। यह अपने आप में अनूठी शोभायात्रा है, जिसमें ज्वारे कलश और बाने-बिसरा एक साथ होते हैं।
युवा त्रिशूल लेकर शोभायात्रा में चल रहे थे।