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बिहार में बनी भारत को गजवा-ए-हिंद बनाने की प्लानिंग: PFI ने तैयार किए थे 15 हजार लड़ाके; कहा-10 फीसदी मुस्लिम साथ दें, कायर घुटनों पर होंगे – Bihar News


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पटना के फुलवारी शरीफ में तैनात थानेदार एकरार अहमद के सरकारी मोबाइल नंबर पर एक मैसेज आया। लिखा था- ‘शर्म करो-डूब मरो। गोश्त खाकर मुसलमान बनने वाले फुलवारी शरीफ के आवाम असली मुसलमान कब बनोगे? नबी की शान पर कब बोलोगे? सारी दुनिया के मुसलमान आवाज उठा रहे हैं। तुम कब उठाओगे? क्या यूं ही मुर्दा बने रहोगे?

याद रखना कल कयामत में अल्लाह ताला तुमसे सवाल कर बैठे तो क्या जवाब दोगे और क्या मुंह दिखाओगे अपने रब को? नामज-ए-जुमा 10 जून 2022 को जामा मस्जिद नया टोला पहुंचे और इश्क-ए-रसूल का सबूत दें।’

ये मैसेज पढ़ते ही थानेदार हरकत में आए और उन्होंने थाने में शिकायत की। ऊपर के अफसरों ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। जांच नहीं हुई।

इसके ठीक एक महीने बाद 12 जुलाई को पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम था। सुरक्षा एजेंसियां पटना पहुंची। जांच पड़ताल में जुटी। इस बीच जब एकरार अहमद की इस शिकायत को उन्होंने देखा और उसकी पड़ताल की तो पटना से लेकर दिल्ली तक एजेंसियों के फोन घनघनाने लगे। जांच आगे बढ़ी तो आतंकियों के भारत को इस्लामिक स्टेट बनाने के मंसूबे और गजवा-ए-हिंद का खुलासा हुआ।

‘बिहार में आतंकी घटनाओं की कहानी’ सीरीज के पार्ट-4 में पढ़िए, गजवा-ए-हिंद बनाने की योजना की कहानी। कैसे एक मैसेज से देश के 27 राज्यों में तैयार हो रहे नेटवर्क का खुलासा हुआ? कैसे पाकिस्तान में बैठकर मास्टरमाइंड बिहार में लड़ाका तैयार कर रहा था…?

सबसे पहले कहानी पहली छापेमारी की…

तारीख-10 जुलाई 2022

जगह- पटना के फुलवारी शरीफ का नया टोला का अहमद पैलेस। पटना पुलिस के साथ ATS की टीम धड़धड़ा कर मकान में एंट्री करती है। लोग कुछ समझ पाते पुलिस पूरे मकान को घेर चुकी थी। थोड़ी देर बाद पता चला कि छापेमारी हुई है।

यहां से अतहर परवेज और झारखंड पुलिस के रिटायर सब इंस्पेक्टर मोहम्मद जलालुद्दीन को उस रोज उठाकर अपने साथ ले जाती है। दोनों से पूछताछ और संदिग्ध कागजात की पड़ताल में पता चला कि बिहार से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) नाम के एक संगठन को ऑपरेट किया जा रहा है। इनके पास से भारत विरोधी कई दस्तावेज मिले।

दो दिन बाद पटना पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया, ‘ये सही है कि बिहार पुलिस की कार्रवाई में PFI के सदस्यों से कई ऐसे दस्तावेज बरामद हुए थे, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। उसी आधार पर NIA ने आगे की कार्रवाई की है। अब ये पूरा मामला NIA देख रही है। इसकी जानकारी भी उन्हीं के पास है।’

फुलवारी शरीफ में 2022 में सबसे पहले इसी जगह पर पुलिस ने की थी छापेमारी। यहां से आतंकियों के मंसूबे का पता चला था।

10% मुस्लिम को साथ लाने की थी प्लानिंग

पटना पुलिस ने बताया, ’उनके ठिकाने से भारत विरोधी दस्तावेज मिले हैं। इनके निशाने पर सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही नहीं, पूरे देश की व्यवस्था भी थी। भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने की साजिश के लिए इन लोगों के पास से 7 पेज का एक्शन प्लान भी मिला। जिसे मिशन- 2047 नाम दिया गया था।

इसमें लिखा था- 2047 में जब देश आजादी के 100 साल मना रहा होगा, तब तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना है।’ प्लान में आगे लिखा था, ‘10 प्रतिशत मुस्लिम साथ दें तो बहुसंख्यक घुटनों पर आ जाएंगे। अभी तक मामले में कहीं भी PFI या SDPI का नाम नहीं आया था।’

अब जानिए, आतंकियों के मिशन-2047 में क्या-क्या था

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का प्लान तैयार किया था। ये प्लान 7 पेज का था, जिसमें 5 बातें लिखी थी…

  1. कम से कम 10 प्रतिशत मुस्लिम भी साथ आ जाएं तो कायर बहुसंख्यक समुदाय (हिंदू) को उनको घुटनों के बल ला देगा।
  2. पढ़े- लिखे और संपन्न मुसलमान कभी साथ खड़े नहीं होंगे। इसलिए पसमांदा या आर्थिक रूप से कमजोर मुस्लिम और सामाजिक तौर पर पिछड़े हिंदुओं को साधना है।
  3. RSS की छवि खराब करनी है। 60 फीसदी आबादी को उसके खिलाफ करना है। इसमें 50 फीसदी SC/ST और OBC तथा 10 फीसदी मुसलमानों को साथ लाना है।
  4. इस टारगेट को पूरा करने के लिए PFI के सभी लीडरों के पास प्लान है और उसे काडर को उसी अनुसार गाइड करना है। मुस्लिम युवाओं को हमेशा यह बताया जाना चाहिए वे दीन (धर्म) के लिए काम कर रहे हैं। किसी भी तरह इस्लामिक शासन एस्टेब्लिश करना ही है।
  5. सबको PFI के झंडे के तले एक करना करना है। इसके अलावा तेजी से नए मेंबर्स को जोड़ने का टास्क दिया गया था।

केरल में PFI के 3 लाख समर्थक और 25 हजार से ज्यादा सदस्य थे। NIA ने 22 सितंबर 2022 को PFI के कई समर्थकों को हिरासत में लिया था।

पहली बार डॉक्यूमेंट में हुआ गजवा-ए-हिंद का खुलासा

जांच आगे बढ़ी तो 15 जुलाई 2022 को IB के इनपुट पर आतंकी मरगूब अहमद दानिश उर्फ ताहिर को गिरफ्तार किया गया। उसके फोन से गजवा-ए-हिन्द वॉट्सऐप ग्रुप और उसके इंटरनेशनल कनेक्शन का खुलासा हुआ।

टॉप जांच एजेंसियों के साथ कई राज्यों की ATS की एक साथ बैठक हुई और धीरे-धीरे परत दर परत इनके मंसूबों का पता चला।

PFI का पूरा नेटवर्क खंगालने के साथ 20 राज्यों और 100 से ज्यादा शहरों में इनका सर्विलांस शुरू हुआ। कर्नाटक, केरल और मध्यप्रदेश सहित ज्यादातर राज्यों में PFI के सिमी से जुड़े होने के भी प्रमाण मिले। PFI को खाड़ी देशों के अलावा देश के बड़े मुस्लिम कारोबारियों से चंदा मिलने की बात भी सामने आती है।

क्या था मिशन गजवा-ए-हिंद

NIA की पूछताछ में गिरफ्तार ताहिर के मुताबिक, पाकिस्तान का एक हैंडलर गजवा-ए-हिन्द नाम का एक वॉट्सऐप ग्रुप चला रहा था। इसके दो एडमिन थे। इनमें एक पाकिस्तान का फैजान और दूसरा पटना का दानिश।

इस वॉट्सऐप ग्रुप में पाकिस्तान और बांग्लादेश के अलावा गल्फ देशों के कई लोग जुड़े थे।

जब उस ग्रुप के 2016 से लेकर 2022 तक के वॉट्सऐप चैट को खंगाला गया तब पता चला कि पाकिस्तान से भारत की तबाही का मैसेज दिया जा रहा था। इसके लिए पाकिस्तान से बड़ी फंडिंग भी हो रही थी।

इस ग्रुप का सीधा कनेक्शन पाकिस्तानी संगठन तहरीक-ए -लब्बैक से था। 2023 में इनकी योजना जिहाद की थी।

बिहार से खुला 23 राज्यों का नेटवर्क

PFI का देश के 23 राज्यों में बड़ा नेटवर्क था। इससे पूरे देश में जड़ मजबूत किया जा रहा था। राजनीति और जमात के नाम पर सफाई के साथ ऐसा खेल खेला जा रहा था, जिसकी भनक सुरक्षा एजेंसियों तक को भी नहीं लग रही थी।

बिहार में सक्रिय संगठन की पोल फुलवारी से खुली। इसके बाद पूरे देश में छापा पड़ा और भारत को इस्लामिक देश बनाने के मंसूबे के खुलासे के बाद PFI के साथ इससे संबंधित 8 संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया गया।

सिमी के पुराने सदस्यों को जोड़कर बना रहे थे PFI

गिरफ्तार मो. जलालुद्दीन प्रतिबंधित आतंकी संगठन का एक्टिव सदस्य रहा है और यह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का भी एक्टिव मेंबर है।

पूछताछ में इसने खुलासा किया, ‘PFI से सिमी के पूर्व सदस्यों को जोड़ा जा रहा है। इसके बाद इन्हें जोड़कर एक गुप्त संगठन तैयार किया जा रहा है। इस गुप्त संगठन के जिम्मे एक बड़ा टारगेट दिया गया है। देश के अंदर मुस्लमानों पर हो रहे अत्याचार कर बदला लेना ही तैयार किए जा रहे इस गुप्त संगठन मेन टारगेट है।’

PFI बिहार में 15 हजार से अधिक लोगों को कर चुका था ट्रेंड

पटना पुलिस की पूछताछ में PFI से जुड़े संदिग्ध अतहर परवेज और मो. जलालुद्दीन ने चौंकाने वाला खुलासा किया था। दोनों ने बताया था, ‘बिहार के अंदर PFI अब तक 15 हजार से अधिक मुस्लिम युवाओं को अस्त्र-शस्त्र चलाने की ट्रेनिंग दे चुकी है।

युवाओं को ट्रेनिंग देने के लिए राज्य के अंदर करीब 15 जिलों में कैंप ऑफिस खोला गया था। पूर्णिया को PFI का हेडक्वार्टर बनाया गया था।’ पूर्णिया को अपना हेडक्वार्टर बनाने के पीछे दो मुख्य मकसद थे।

पहला- सीमांचल इलाके में अपना कब्जा जमाने में आसानी होती।

दूसरा- अगर कुछ गड़बड़ी हुई तो वहां से नेपाल या बांग्लादेश भागने में आसानी होती।

अनपढ़ और बेरोजगार युवाओं का कर रहे थे ब्रेनवॉश

PFI के टारगेट पर बिहार का सीमांचल इलाका था। इस संगठन के लोगों की प्लानिंग ब्रेन बॉश कर सीमांचल के बेरोजगार और अशिक्षित मुस्लिम युवाओं को PFI से जोड़ने की थी। इन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग देनी थी।

अतहर परवेज ने बताया था, ‘पूर्णिया, अररिया, फारबिसगंज, किशनगंज, मधुबनी और दरभंगा में रहने वाले मुस्लिम युवा उनकी प्राथमिकता में शामिल थे।’

दोहा से फंडिंग की बात आई सामने

अब तक की जांच में पता चला है कि PFI को देश के अंदर और दूसरे देशों से फंडिंग की जा रही थी। PFI के बैंक अकाउंट में करीब 90 लाख रुपए के ट्रांजैक्शन किए जाने का सबूत मिला। ये पैसे हवाला के जरिए PFI को फंडिंग की जाती थी।

पड़ताल में दोहा की संस्था रास लाफेल के बारे में पता चला है, जो कई बार PFI को उसके अभियान के लिए फंडिंग कर चुकी है। ये संस्था टैलेंट सर्च के नाम पर पैन इंडिया मूवमेंट चलाती है। इसमें मुस्लिम युवाओं को अधिक से अधिक जोड़ने का टारगेट है।

PFI के फंडिंग को लेकर अब ED ने भी केस दर्ज कर अपनी जांच शुरू कर दी है। यह पता लगाया रहा है कि 90 लाख रुपए इनके अकाउंट में आया कहां से था? इसका फंड को कौन लोग हैंडिल कर रहे थे? फंड आता कहां-कहां से है?

सर्च ऑपरेशन के दौरान ये इनपुट भी खंगाला गया कि प्रतिबंधित संगठन से जुड़े बिहार, कर्नाटक से लेकर गल्फ कंट्री तक के कनेक्शन हैं। आरोपी सीधे तौर पर गल्फ कंट्री में रहने वाले कई ऐसे लोगों से जुड़ा हुआ है, जो भारत विरोधी अभियान का हिस्सा रहे हैं।

UAPA लगा कर PFI को बैन किया, NIA कोर्ट में मामला

केंद्र सरकार की तरफ से PFI को देश भर में 5 साल के लिए बैन कर दिया गया है। इनके ऊपर UAPA की धारा लगाई गई है। फिलहाल पूरे मामले की जांच NIA कर रही है। NIA इस मामले में दो बार चार्जशीट दायर कर चुकी है। NIA कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही है।

अपनी चार्जशीट में NIA ने कहा है, ‘जांच से पता चला कि आतंक और हिंसा के कृत्यों को अंजाम देने के इरादे से आपराधिक साजिश रची गई थी, जिससे आतंक का माहौल पैदा हो गया और देश की एकता और अखंडता को खतरा पैदा हो गया।’

वहीं, सप्लीमेंट्री चार्जशीट में कहा है, ‘इनकी प्लानिंग अलग-अलग जगहों पर हिंसा कराने की थी। इसके लिए हथियारों और विस्फोटक सामान की व्यवस्था करने में ये लोग जुटे थे। हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम देने के लिए प्लानिंग कर रहे थे। PFI की विचारधारा और हिंसक उग्रवाद के एजेंडे का प्रचार करने में भी इनकी अहम भूमिका थी। इस सप्लीमेंट्री चार्जशीट में विदेशों से PFI के सदस्यों तक अवैध तरीके से रुपS के पहुंचाने का भी जिक्र किया गया है।’

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