मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रदेश के एकमात्र गवर्नमेंट ऑटोनोमस डेंटल कॉलेज, इंदौर के पूर्व प्राचार्य डॉ. देशराज जैन के खिलाफ महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। कोर्ट ने पाया कि डॉ. जैन द्वारा वर्ष 2018 में की गई दंत चिकित्सा महाविद्यालय की भर्ती प्रक्रिया
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यह जांच रिपोर्ट 9 मार्च 2024 को शासन को भेजी गई थी, जिसमें स्पष्ट किया गया कि डॉ. जैन ने भर्ती प्रक्रिया में अनियमित आचरण किया है।
कोर्ट ने आदेश में यह भी उल्लेख किया कि इस जांच के बाद शासन ने अब तक डॉ. जैन के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं की है। इस पर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने शासन को आदेश दिया कि वह चार हफ्तों में डॉ. जैन के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करें और मामले की गंभीरता के अनुसार उचित कदम उठाएं।
इस आदेश के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि हाई कोर्ट ने प्रशासनिक तंत्र को सक्रिय रूप से कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया है ताकि विभागीय कर्तव्यों और नियमों का पालन सुनिश्चित किया जा सके।
इसके अलावा, कोर्ट ने डॉ. संध्या जैन की याचिका भी खारिज कर दी। डॉ. देशराज जैन के रिटायर होने के बाद उनकी पत्नी डॉ. संध्या जैन को कॉलेज की प्रिंसिपल नियुक्त किया गया था। हालांकि, शासन ने 8 जनवरी 2025 को उन्हें कार्यमुक्त कर दिया और प्रिंसिपल का प्रभार डॉ. अलका गुप्ता को सौंपा। इसके बाद दोनों के बीच प्रिंसिपल पद को लेकर खींचतान चल रही थी, और डॉ. जैन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने मौजूदा प्रिंसिपल डॉ. अलका गुप्ता को बने रहने का आदेश दिया, जिससे दोनों डॉक्टरों के बीच गफलत की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
वे अलग-अलग केबिन में काम कर रहे थे और दस्तावेजों पर साइन कर रहे थे। 20 जनवरी को हुई सुनवाई में डॉ. जैन की ओर से रिज्वाइंडर पेश किया गया, लेकिन 22 जनवरी को कोर्ट ने डॉ. जैन की याचिका खारिज करते हुए डॉ. अलका गुप्ता को प्रिंसिपल बने रहने का आदेश दिया। अब डॉ. अलका गुप्ता कॉलेज की प्रिंसिपल हैं।