महाकाल मंदिर परिसर में उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) ने जो 265 करोड़ रुपए के काम किए जा रहे हैं, उनमें भारी खामियां सामने आई हैं। मंदिर के ढांचे में जो खंभे लगाए गए हैं, उनके पत्थर के पेडेस्टल क्षतिग्रस्त हैं। पत्थर ही बदल दिए गए हैं। इन खामियों के
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यह खुलासा सीबीआरआई (सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, रुड़की) की जांच रिपोर्ट में हुआ है। हैरत की बात है कि कार्रवाई करने के बजाय यह जांच रिपोर्ट गायब करवा दी गई। मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक, तत्कालीन कलेक्टर और मंदिर समिति के अध्यक्ष नीरज कुमार सिंह ने ऐसी कोई रिपोर्ट होने से इनकार कर दिया।
यूडीए मंदिर परिसर में 265 करोड़ रुपए से 23 काम कर रहा है। इसके लिए वर्ष 2022 और 23 में 73.45 करोड़ रुपए एडवांस भी लिया गया। तब संदीप सोनी यूडीए के सीईओ के साथ मंदिर प्रशासक भी थे। इन्हीं कामों की क्वालिटी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। 14 दिसंबर 2024 को मंदिर प्रशासन ने यूडीए से एडवांस लिए गए 73.45 करोड़ के व्यय के दस्तावेजों के लिए पत्र लिखा तो यूडीए ने जानकारी नहीं भेजी। उल्टा 28 जनवरी 2025 को फिर से राशि की मांग कर दी।
जांच में खामियां मिली तो रिपोर्ट गायब कर दी... भास्कर में पढ़ें पूरी रिपोर्ट
खामियों पर अमल नहीं तो श्रद्धालुओं को खतरा
- श्रद्धालु जिस रूट से दर्शन को जाते हैं वहां कॉलम पर कांक्रीट की परत चढ़ा दी, जो जमीन पर भी नहीं टिकी है। इससे हादसे की आशंका जताई है।
- मंदिर में बनाए गए स्ट्रक्चर में कमजोर मटेरियल का उपयोग किया। कई जगह लीकेज हो रहा है तो छज्जे से सरिये बाहर निकल गए हैं। मंदिर में निर्माण में लगे कारीगर की कुशलता पर सवाल खड़े किए हैं।
- मंदिर के खंभों के नीचे जो पत्थर के बेस (पेडेस्टल) लगाए गए हैं, वे टूट चुके हैं।
- मजबूत ग्रेनाइट स्टोन लगना था, सस्ता सेंड स्टोन लगा दिया गया।
- पत्थरों को जोड़ते समय उनके बीच बड़े गैप और दरारें छोड़ दीं, जिससे पूरी संरचना कमजोर हो गई।
- छतों से कई जगह पानी टपक रहा।
- मंदिर की मुंडेर (पेरापेट वॉल) और छतें बहुत खराब हालत में हैं।
- मंदिर का छोटा शिखर और रैलिंग भी बुरी तरह टूट चुके हैं।
- निर्माण में जो सामग्री इस्तेमाल की गई है, वह घटिया क्वालिटी की है।
- जो पत्थर दीवारों पर चिपकाए गए हैं, वे अपना वजन भी ठीक से नहीं संभाल पा रहे। किसी भी वक्त गिरकर बड़ा हादसा कर सकते हैं।
- कई जगह खंभों पर बस ऊपर से पतली परत चढ़ा दी गई है, अंदर गैप छोड़ा है। जो कमजोर हो गई है।
यूडीए सीईओ बोले- इनमें कई काम हमारे नहीं हैं सीबीआरआई की रिपोर्ट हमारे पास आई ही नहीं है। (भास्कर ने रिपोर्ट की प्रति भेजी तब आगे की जानकारी दी।) रिपोर्ट में जिन कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए हैं, उनमें से कई काम यूडीए के नहीं हैं।’ -संदीप सोनी, सीईओ, यूडीए
रिपोर्ट हमारे पास नहीं आई, भुगतान प्रजेंटेशन के बाद सीबीआरआई की रिपोर्ट हमारे पास आई ही नहीं है। प्राधिकरण ने हाल ही में 7 कार्यों के पेमेंट के लिए पत्र भेजा था। हमने स्पष्ट कहा है कि जब तक उन कार्यों के फोटो, पीपीटी और प्रेजेंटेशन नहीं आते, तब तक भुगतान नहीं होगा।’ -प्रथम कौशिक, प्रशासक, महाकाल
पूर्व मंदिर प्रशासक ने जांच करवाई, रिपोर्ट नहीं मिली पूर्व मंदिर प्रशासक ने सीबीआरआई टीम को निरीक्षण के लिए खुद बुलवाया था। ऐसी कोई रिपोर्ट हमारे पास आई ही नहीं। न ही हमने मंदिर परिसर में निर्माण को लेकर ऐसी कोई जांच कराई है। -नीरज सिंह, तत्कालीन कलेक्टर व मंदिर समिति अध्यक्ष।