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महाराष्ट्र सरकार आगरा में छत्रपति शिवाजी महाराज का म्यूजियम बनाएगी: यहां के कोठी मीना बाजार में औरंगजेब ने मराठा योद्धा को नजरबंद किया था


मुंबई/आगरा13 मिनट पहले

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कोठी मीना बाजार 1803 से 1857 तक अंग्रेजों के कब्जे में रही थी।

महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को एक गवर्नमेंट रेजोल्यूशन (GR) जारी किया। अब महाराष्ट्र सरकार उत्तर प्रदेश के आगरा की उस जगह (कोठी मीना बाजार) को खरीदेगी, जहां छत्रपति शिवाजी महाराज मुगलों को औरंगजेब ने नजरबंद किया था। यहां म्यूजियम बनाने की तैयारी है।

दरअसल, 19 फरवरी को महाराष्ट्र में एक सभा को संबोधित करते हुए CM देवेंद्र फडणवीस ने कहा था- आगरा में जहां छत्रपति शिवाजी महाराज को कैद रखा था, वहां पर स्मारक बनाएंगे। महाराष्ट्र सरकार इस जमीन का अधिग्रहण करेगी। मैं खुद योगी आदित्यनाथ से बात करुंगा।

इसके बाद 12 मार्च को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि प्रमुख सचिव (पर्यटन) मुकेश मेश्राम आगरा की मीना कोठी बाजार के डॉक्यूमेंट जल्द तैयार कर लें। वर्तमान स्टेटस रिपोर्ट मुझे भेज दें।

महाराष्ट्र सरकार के जारी GR में बताया गया-

मुगलों ने छत्रपति शिवाजी महाराज को कैद किया, लेकिन वे अपनी बुद्धिमत्ता और चतुरता से कैद से निकलकर वापस महाराष्ट्र लौटे थे। महाराष्ट्र के लोग जब उस जगह (कोठी मीना बाजार ) जाते हैं तो उन्हें कोई भी स्मारक या प्रतीक नजर नहीं आता। छत्रपति शिवाजी महाराज महाराष्ट्र के लिए आराध्य देवता है। महाराष्ट्र के पर्यटन विभाग की ओर से इस प्रोजेक्ट के लिए जरुरी फंड दिया जाएगा।

कोठी मीना बाजार पर दैनिक भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट…

आगरा के शाहगंज इलाके में है कोठी मीना बाजार आगरा के शाहगंज इलाका में कोठी मीना बाजार का मैदान है। यहां बड़ी राजनीतिक रैलियां होती हैं। इसके एक तरफ टीले पर कोठी मीना बाजार बनी हुई है। दैनिक भास्कर टीम इस मैदान में पहुंची थी। इसकी ऊंचाई 20 फीट है, ये सिंगल स्टोरी भव्य बिल्डिंग है।

इमारत के बरामदे में ब्रिटिश काल के लकड़ी के फ्रेम लगे हुए हैं। बिल्डिंग के दोनों कोनों पर 3 परिवार केयर टेकर के रूप में रहते हैं। इन्हीं में एक हरिओम शर्मा का परिवार है। यही लोग पूरी बिल्डिंग की देखभाल 30 साल से करते आ रहे हैं। 2 अन्य परिवार बिल्डिंग की साफ-सफाई देखते हैं।

कोठी मीना बाजार में आम लोगों का ज्यादा आना-जाना नहीं होता है। इसकी देखरेख करने वाले 3 परिवार यहीं रहती हैं।

कोठी मीना बाजार में आम लोगों का ज्यादा आना-जाना नहीं होता है। इसकी देखरेख करने वाले 3 परिवार यहीं रहती हैं।

कोठी पर लिखा- राजा जय किशन दास भवन बरामदे के बीच वाले हॉल के गेट के ऊपर ‘राजा जयकिशन दास भवन’ लिखा हुआ है। कोठी मीना बाजार में 14 बड़े-बड़े हॉल हैं। इनमें से 1-2 खुले हुए हैं, बाकी पर ताला लगा हुआ है। जो कि कभी-कभी साफ-सफाई के लिए ही खुलता है। हालांकि ये सभी हॉल खाली हैं। कोठी के चारों ओर पाथ वे भी बना हुआ है।

बिल्डिंग के अंदर बरामदे में कोठी मीना बाजार का इतिहास लिखा हुआ है।

बिल्डिंग के अंदर बरामदे में कोठी मीना बाजार का इतिहास लिखा हुआ है।

मीना कोठी किसकी है, कैसे मालिक बदले, ये जानिए…

1803 तक अंग्रेजों के कब्जे में रही कोठी डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर सुगम आनंद कहते हैं- कोठी मीना बाजार के टीले पर बना मकान वर्ष 1803 में अंग्रेजों के कब्जे में आया।

पुराने जर्जर भवन को तोड़कर वर्ष 1837 में नई कोठी बनाई गई, जिसे गर्वनर हाउस कहा गया। यहां तत्कालीन गर्वनर जनरल का आवास बना। 1857 तक यह अंग्रेजों की संपत्ति रही। तब यूपी की राजधानी आगरा थी।

1857 की क्रांति के बाद यूपी की राजधानी इलाहाबाद बना दी गई। इसके बाद यह कोठी नीलाम हो गई। जिसे राजा जय किशन दास ने खरीदा। अब यह संपत्ति पाठक वृंदावन चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम है।

मीना कोठी और छत्रपति शिवाजी से जुड़ा इतिहास…

औरंगजेब ने मीना कोठी में कैद रखा मीना कोठी को लेकर डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर सुगम आनंद से दैनिक भास्कर ने चर्चा की थी। उन्होंने बताया था कि छत्रपति शिवाजी महाराज अपने बेटे संभाजी के साथ 12 मई, 1666 को आगरा पहुंचे थे।

मुगल बादशाह औरंगजेब शिवाजी महाराज के पराक्रम से परेशान था, इसीलिए उसने उनसे संधि करने की योजना बनाई। शिवाजी महाराज ने भरे दरबार में अपनी नाराजगी जाहिर की। औरंगजेब के सैनिकों ने छल से शिवाजी महाराज और उनके बेटे संभाजी को बंदी बना लिया था।

इतिहास संकलन समिति ने शिवाजी से जुड़ी इस कहानी पर रिसर्च किया। दावा किया कि औरंगजेब ने 12 मई, 1666 को शिवाजी महाराज को राजा जयसिंह के बेटे राम सिंह की छावनी के पास सिद्धी फौलाद खां की निगरानी में नजरबंद करने का आदेश किया था। 16 मई, 1666 को शिवाजी महाराज को रदंदाज खां के मकान पर ले जाने का आदेश हुआ।

राम सिंह की छावनी के पास स्थित फिदाई हुसैन की शहर के बाहर टीले पर स्थित हवेली में शिवाजी को रखा गया। राम सिंह की हवेली कोठी मीना बाजार के नजदीक थी। यह जगह अभिलेखों में आज भी कटरा सवाई राजा जयसिंह के नाम से दर्ज है। यही कोठी मीना बाजार है।

यूपी में शिवाजी के म्यूजियम के जरिए BJP देगी संदेश महाराष्ट्र की सियासत में BJP और शिवसेना अलग-अलग छोर पर खड़े हैं। उद्धव गुट के लोग मराठा नेता हैं। लोगों के सेंटिमेंट शिवाजी से जुड़े हुए हैं।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि महाराष्ट्र के CM देवेंद्र फडणवीस उत्तर प्रदेश में शिवाजी म्यूजियम के जरिए सियासी संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं। शिवाजी से जुड़े इतिहास की वजह से कोठी मीना बाजार को म्यूजियम में बदलने की तैयारी है।

अगर यहां म्यूजियम बनता है तो महाराष्ट्र की सरकार हिंदुत्व का संदेश देने में कामयाब दिखेगी। फायदा यूपी में योगी सरकार को भी 2027 के विधानसभा चुनाव में हो सकता है।

महाराष्ट्र में जारी है औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद

तस्वीर 17 मार्च की है। जब वहां पर हिंसा और आगजनी हुई थी।

तस्वीर 17 मार्च की है। जब वहां पर हिंसा और आगजनी हुई थी।

बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने महाराष्ट्र सरकार से महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर (पहले औरंगाबाद) में स्थित औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग की है। इसके बाद से महाराष्ट्र में कब्र पर विवाद जारी है। सरकार ने कब्र की सुरक्षा भी बढ़ाई है। हालांकि, CM फडणवीस खुद कब्र हटाने के पक्ष में हैं। कब्र विवाद पर 17 मार्च को नागपुर में हिंसा और आगजनी हो चुकी है।

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औरंगजेब विवाद को लेकर ये खबर भी पढ़ें…

मुगल बादशाह ने खुद चुनी थी दफन की जगह, वसीयत में कहा था – खाली जगह पर दफनाना, सिर खुला रखना

17 मार्च को शाम करीब साढ़े 7 बजे नागपुर में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग हिंसा में बदल गई। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के लोगों ने औरंगजेब की कब्र का प्रतीकात्मक पुतला जला दिया, जिससे दो समुदायों के बीच विवाद हो गया। इस बीच DCP निकेतन कदम पर कुल्हाड़ी से हमला भी हुआ, जिससे वे घायल हो गए। पूरी खबर पढ़ें…

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