2 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार सुबह नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि, कोर्ट ने मेधा पाटकर को प्रोबेशन बॉन्ड पेश करने और मुआवजा राशि जमा करने की शर्त पर दोपहर में रिहा कर दिया।
मेधा पाटकर की गिरफ्तारी दिल्ली के निजामुद्दीन से की गई थी। मेधा के खिलाफ कोर्ट ने गैरजमानती वारंट (NBW) जारी किया था। यह कार्रवाई दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की दायर मानहानि याचिका में की गई है।
साकेत कोर्ट ने 23 अप्रैल को मेधा पाटकर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। अदालत ने पाटकर को प्रोबेशन बॉन्ड और एक लाख रुपए का जुर्माना जमा करने का निर्देश दिया था। सुनवाई में पाटकर न तो खुद उपस्थित हुईं और न ही उन्होंने जुर्माना राशि जमा की।
दिल्ली की साकेत कोर्ट से रिहाई के बाद बाहर आती मेधा पाटकर
पूरा मामला समझिए
यह मामला साल 2000 का है। पाटकर ने सक्सेना पर टिप्पणी की थी। उन्होंने कथित तौर पर सक्सेना को ‘कायर’ कहा था और आरोप लगाया था कि वह हवाला लेनदेन में शामिल हैं।
दिल्ली के मौजूदा उपराज्यपाल उस समय गुजरात में एक एनजीओ का नेतृत्व कर रहे थे। सक्सेना के एनजीओ ने गुजरात सरकार की सरदार सरोवर परियोजना का खुलकर समर्थन किया था, जबकि एनबीए इसके खिलाफ आंदोलन चला रहा था।
हालांकि, 25 नवंबर 2000 को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में पाटकर ने आरोप लगाया कि सक्सेना गुजरात सरकार की परियोजना के खिलाफ एनबीए के विरोध प्रदर्शन का गुप्त रूप से समर्थन कर रहे थे। उन्होंने आगे दावा किया कि सक्सेना ने एनबीए को एक चेक भेजा था, जो बाउंस हो गया।
पिछले साल मई में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पाया कि पाटकर की टिप्पणी अपमानजनक थी और कार्यकर्ता को दोषी ठहराते हुए उन्हें तीन महीने जेल की सजा सुनाई गई थी। कोर्ट ने उन्हें वीके सक्सेना को 10 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली ट्रांसफर किया था केस
मेधा पाटकर के खिलाफ वीके सक्सेना ने आपराधिक मानहानि का केस अहमदाबाद की कोर्ट में 2001 में दायर किया था। गुजरात के ट्रायल कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया था। बाद में 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई गुजरात से दिल्ली के साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया। मेधा ने 2011 में खुद को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही। वीके सक्सेना ने जब अहमदाबाद में केस दायर किया था तब वो नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे।
कौन हैं एक्टिविस्ट मेधा पाटकर
मेधा पाटकर सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो देश में आदिवासियों, दलितों, किसानों, मजदूरों और महिलाओं द्वारा उठाए गए कुछ राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर काम करती हैं। उन्हें मुख्य रूप से नर्मदा घाटी विकास परियोजना (एनवीडीपी) से विस्थापित लोगों के साथ काम करने के लिए जाना जाता है। एनवीडीपी मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में नर्मदा नदी और उसकी सहायक नदियों पर बांध बनाने की एक बड़े पैमाने की योजना है।