राजनांदगांव जिले में चर्चित रहे शुभम हत्याकांड मामले में अपर सत्र न्यायालय ने फैसला सुनाया है। हत्याकांड के 6 साल बाद 3 आरोपियों पर लगाए आरोपों से उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया है। आपराधिक प्रमाणित नहीं होने पर कोर्ट ने यह फैसला लिया।
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घटना 10 सितंबर 2018 की है, जब सभी ने साजिश रच कर शुभम नामदेव को शराब पिलाने और लेनदेन का हिसाब क्लियर करने के बहाने पेंड्री के होटल के पास बुलाया और कार में ही उसकी गला काटकर हत्या कर दी थी।
जांच में नारको टेस्ट और ब्रेन मैपिंग हुई थी
जिले का यह पहला ऐतिहासिक आपराधिक मामला था जिसमें नारको टेस्ट और ब्रेन मैपिंग से मामले का खुलासा होने और कई स्रोतों से साक्ष्य जुटाने का दावा किया था। लालबागथाने में आरोपियों को खिलाफ मामला दर्ज था।
विवेचना के बाद आरोपियों को हिरासत में लेकर उनका नार्को टेस्ट और ब्रेन मैपिंग टेस्ट गांधीनगर गुजरात में कराया गया था। तब से सभी आरोपियों को 1 अप्रैल 2021 से जेल में ही रखा गया है।
71 गवाहों को कोर्ट में पेश किया
इस मामले में उसने इंस्टाग्राम मैसेज, व्हाट्सएप मैसेज और चैटिंग, मोबाइल कॉल डिटेल और टावर लोकेशन के साथ ही सीसीटीवी फुटेज तथा मोबाइल फोन कॉल टेप, प्रत्यक्षदर्शी साक्ष्य एवं परिस्थितिजन्य साक्ष्य, लगभग 71 गवाहों की सूची बनाकर अभियोग पत्र कोर्ट में प्रस्तुत किया था।
अपराध प्रमाणित नहीं होने पर दोषमुक्त
मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया था। प्रकरण में उभय पक्षों को सुनने के बाद अपर सत्र न्यायालय द्वारा आरोपियों के खिलाफ अपराध प्रमाणित न पाकर सभी को उनपर लगे आरोपों से दोष मुक्त कर दिया गया।
सभी आरोपी दोषमुक्त
प्रकरण में आरोपियों की ओर से प्रदेश के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत प्रभात तिवारी ने पैरवी की। नितिन लिम्बू उर्फ मुंकु नेपाली, दिनेश कुमार माहेश्वरी उर्फ गोलू मारवाड़ी और मेघा तिवारी को उन पर लगाए गए आरोपों भादवि की धारा 302 /34, 201 ,120 और 25-27 आर्म्स एक्ट से दोषमुक्त करने का आदेश पारित किया है।