वेस्ट यूपी में वकीलों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को हड़ताल का 12वां दिन रहा। शुक्रवार को भी वकीलों ने हड़ताल की घोषणा की है। वकीलों के आंदोलन के चलते वेस्ट यूपी की अदालतों में लाखों केस की सुनवाई रोज प्रभावित हो रही है।
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गाजियाबाद कोर्ट रूम में 29 अक्टूबर को वकीलों और जिला जज के बीच बहस के बाद कहासुनी हो गई थी। हंगामा हो गया था। पुलिस ने कोर्ट रूम में वकीलों पर लाठीचार्ज कर दिया था। जिला जज को पुलिस अधिकारी वकीलों के बीच से निकालकर ले गए थे। वकील इस मामले में जिला जज और पुलिस अधिकारियों के तबादले की मांग कर रहे हैं। चार नवंबर से वेस्ट यूपी की सभी अदालतों में वकील न्यायिक कार्य नहीं कर रहे हैं।
ये हैं मांगे
गाजियाबाद में वकीलों पर लाठीचार्ज को लेकर गुरुवार को केन्द्रीय संघर्ष समिति की बैठक मेरठ में पंडित नानक चन्द सभागार की लाइब्रेरी में हुई। इस बैठक में 8 प्रस्ताव पास किए गए थे। निर्णय लिया गया कि यदि उनके प्रस्ताव 21 नवंबर तक नहीं माने जाते हैं तो 22 नवंबर को केन्द्रीय संघर्ष समिति की बैठक में सख्त निर्णय लिए जाएंगे।
आठ प्रस्तावों में लाठीचार्ज मामले में जल्द से जल्द न्यायिक जांच कराने की मांग की गई। लाठीचार्ज
प्रकरण के संबंध में उच्च न्यायालय में शीघ्र अवमानना याचिका दायर की जाए। जिला जज का तबादला 21 नवम्बर तक दूसरे जिले में हो। लाठीचार्ज प्रकरण में शामिल पुलिस कर्मियों के विरूद्ध मुकदमे दर्ज किए जाएं।
घायल अधिवक्ताओं को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए। वकीलों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं।