समालखा में गुरू गोबिंद सिंह के साहिबजादों का शहीदी दिवस मनाते हुए हिंदू जन जागृति मंच पदाधिकारी व अन्य।
समालखा में हिन्दू जन जागृति मंच के तत्वाधान में बुधवार को शहर के रेलवे स्टेशन से लेकर मुख्य गुरुद्वारा तक गुरू गोविंद सिंह के पुत्रों साहिबजादों की याद में झांकी निकाली गई। प्रधान विकास छौक्कर और उप प्रधान सूरत शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि हिन्
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शूरवीरों और मुगल सेना के बीच हुआ था युद्ध
वही मॉडल टाउन गुरुद्वारा प्रधान जगतार सिंह बिल्ला ने जानकारी देते हुए बताया कि गुरू गोविंद सिंह के चार पुत्र साहिब जादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह थे। दिसंबर 1704 में आनंद पुर साहिब में गुरू गोविंद सिंह के शूरवीरों और मुगल सेना के बीच युद्ध जारी था। तब मुगल शासक औरंगजेब ने उन्हें आनंद पुर का किला खाली कर देने के लिए पत्र लिखा था।
समालखा में साहिबजादों को नमन करते मंच सदस्य व अन्य।
लाखों मुगलों पर भारी पड़े दोनों साहिबजादे
तब किले से निकलते वक्त मुगल सेना ने उन पर हमला कर दिया था, जिसमें उनका परिवार बिछड़ गया। उनके साथ दोनों बड़े साहिबजादे थे, जबकि दोनों छोटे साहिबजादे दादी माता गुजरी के साथ चले गए। चमकौर के युद्ध में गुरू गोविंद सिंह के कथन ‘सवा लाख से एक लड़ाऊ’ को सार्थक करते हुए दोनों बड़े साहिबजादे युद्ध में उतरे। दोनों ने अपने युद्ध कौशल के जौहर दिखाए और लाखों मुगलों पर भारी भी पड़े।
औरंगजेब के कहने पर इस्लाम नहीं किया कबूल
वही उपाध्यक्ष पंडित सूरत सिंह ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह के चारों साहिबजादे जो औरंगजेब ने इस्लाम कबूल करने को कहा, लेकिन उन्होंने इस्लाम को कबूल ना करके सनातन सिख धर्म के नाम पर अपना बलिदान दे दिया। उनको श्रद्धांजलि देने के लिए रेलवे स्टेशन समालखा से रेलवे रोड गुरुद्वारा तक सतनाम वाहेगुरु का जाप करते हुए पहुंचे और चारों साहिबजादे को श्रद्धांजलि दी।
सभी हिंदू भाइयों को अपील की के अपने धर्म के लिए उनसे शिक्षा ले और अपने धर्म संस्कृति की रक्षा करें।
ये रहे शामिल
इस अवसर पर प्रधान गोपाल सिंह, गुरजीत सिंह, नानक सिंह,चौधरी नवाब, नवीन हल्दाना, भुवनेश पूर्व सरपंच, वेद प्रकाश सरपंच, चौधरी बबलू, डॉ रमेश शर्मा, पंडित करण सिंह किवाना, चौधरी अनिल सरपंच, सतवंत जरनैल सिंह, पंडित जनेश्वर, चौधरी कुलदीप, सोनू गांव डोडपुर आदि सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।