नई दिल्ली14 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े 6 मामलों में बरी किए गए आरोपियों को नोटिस जारी किया है। ये नोटिस केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए भेजे गए हैं। कोर्ट ने सभी आरोपियों से 21 जुलाई तक जवाब मांगा है।
यह मामला सरदार गुरलाद सिंह कहलोन की 2016 में दाखिल की गई याचिका से जुड़ा है। उन्होंने 1984 के दंगों में दिल्ली में हुई 51 हत्याओं की दोबारा जांच की मांग की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष जांच टीम (SIT) बनाई थी, जिसने 186 मामलों की दोबारा जांच शुरू की।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच 21 जुलाई को अगली सुनवाई करेगी।
1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख बहुल इलाकों में दंगे हुए थे। इसमें हजारों लोग मारे गए थे।
कोर्ट ने कहा था- अब तक ट्रायल खत्म हो जाना चाहिए थे मार्च में हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि अभी तक ट्रायल खत्म हो जाना चाहिए था। रिकॉर्ड से यह भी साफ है कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के कई मामलों में ट्रायल इस तरह से हुआ, जिसके चलते आरोपी दोषी ठहराए जाने के बजाए बरी कर दिए है।
आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ दायर की थी अपील एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया था कि आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ अपील दायर की थी, लेकिन देरी के आधार पर याचिका को खारिज कर दिया गया।
भाटी ने कहा कि 11 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने 1984 के दंगों से संबंधित 186 मामलों की जांच के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एसएन ढींगड़ा की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया था। SIT ने मामलों की जांच के बाद जिन लोगों को बरी किया गया है, उनके खिलाफ अपील दाखिल करने की सिफारिश की है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे शुरू हुए थे। (फाइल फोटो)
बंदूकें छीनीं, फिर भी प्रमोशन मिला
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का ने कोर्ट को एक चार्ट सौंपा, जिसमें दिखाया गया कि दिल्ली पुलिस ने कई मामलों में कोई कार्रवाई ही नहीं की।
SIT प्रमुख जस्टिस एसएन ढींगरा ने बताया कि छह लोगों की हत्या की कभी जांच ही नहीं हुई और दो मामलों में किसी पर कोई केस नहीं चला।
ढींगरा ने बताया कि एक एसएचओ (थाना प्रभारी) ने सिखों से लाइसेंसी बंदूकें छीन लीं और भीड़ को हमला करने का इशारा किया, लेकिन बाद में उसे एसीपी के पद पर प्रमोट कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 20 दिसंबर को केंद्र सरकार से दंगों से जुड़े मामलों की स्थिति पर पूरी रिपोर्ट मांगी थी।
दिल्ली सरकार बरी आरोपियों के खिलाफ अपील करेगी सिख दंगों की जांच के लिए गठित नानावटी आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ दिल्ली में 587 मामले दर्ज हुए थे, जिनमें 2733 लोग मारे गए थे। कुल मामलों में से करीब 240 मामले बंद हो गए जबकि 250 मामलों में आरोपी बरी हो गए थे। दिल्ली सरकार ने 17 फरवरी, 2025 को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह सिख दंगों के 6 मामलों में बरी आरोपियों के खिलाफ याचिका दायर करेगी।
1984 सिख विरोधी दंगा: कब-क्या हुआ…
- 31 अक्टूबर, 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की गई थी।
- अगले दिन यानी 1 नवंबर को दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे।
- PTI के मुताबिक, तब सिर्फ दिल्ली में ही करीब 2700 लोग मारे गए थे। देशभर में मरने वालों का आंकड़ा 3500 के करीब था।
- मई, 2000 में दंगे की जांच के लिए जीटी नानावती कमीशन का गठन हुआ।
- 24 अक्टूबर, 2005 को CBI ने नानावती कमीशन की सिफारिश पर केस दर्ज किया।
- 1 फरवरी, 2010 को ट्रायल कोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार, बलवान खोकर, महेंद्र यादव, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल, किशन खोकर, महा सिंह और संतोष रानी को समन जारी किया।
- 30 अप्रैल, 2013 को कोर्ट ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया।
- इसके खिलाफ CBI ने 19 जुलाई, 2013 को हाईकोर्ट में अपील की। 22 जुलाई, 2013 को हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को नोटिस जारी किया।
- 17 दिसंबर, 2018 को हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को पांच सिखों की हत्या की हत्या के मामले में दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाई।
- दंगों के 21 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में माफी मांगी थी। उन्होंने कहा था- जो कुछ भी हुआ, उससे उनका सिर शर्म से झुक जाता है।
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तापसी पन्नू ने एक इंटरव्यू में 1984 में सिख विरोधी दंगों के दौरान अपनी फैमिली के बुरे अनुभव को लेकर बात की थी। उन्होंने कहा कि जब ये दंगा हुआ था तो वो पैदा भी नहीं हुई थीं। उनकी मां बताती हैं कि उनके घर को दंगाइयों ने चारों तरफ से घेर लिया था। दंगाई उनके घर के सामने तलवारें, पेट्रोल बम लेकर आए थे। पूरी खबर पढ़ें…