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नई दिल्ली20 मिनट पहले
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कोर्ट ने 8 जनवरी को मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 162(2) के तहत सरकार को 14 मार्च तक योजना तैयार करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने रोड एक्सीडेंट में घायलों के कैशलेस इलाज की स्कीम लागू न करने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा- जब तक शीर्ष अधिकारियों को तलब न किया जाए, वे कोर्ट ऑर्डर को गंभीरता से नहीं लेते। हम पहले ही साफ कह रहे हैं, अगर हमें पता चला कि मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है तो हम अवमानना का नोटिस जारी करेंगे।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने बुधवार को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव समेत वरिष्ठ अधिकारियों को 28 अप्रैल को पेश होने को कहा है। साथ ही जनरल इंश्योरेंस काउंसिल को हिट एंड रन मामलों से जुड़े क्लेम के नए आंकड़े पेश करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने 8 जनवरी को मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 162(2) के तहत सरकार को 14 मार्च तक स्कीम तैयार करने का निर्देश दिया था। मामला कोयंबटूर के गंगा अस्पताल में ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ एस राजसीकरन की रिट याचिका से जुड़ा है। याचिका में एक्ट की धारा 162 लागू करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।
गडकरी ने कैशलेस इलाज योजना लॉन्च की थी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 14 मार्च 2024 को रोड एक्सीडेंट पीड़ितों के कैशलेस इलाज के लिए पायलट प्रोजेक्ट ‘कैशलेस इलाज योजना’ शुरू किया था। इसके बाद 7 जनवरी 2025 को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इसे जल्द ही देशभर में लॉन्च करने की घोषणा की थी। इससे देश में कहीं भी रोड एक्सीडेंट होने पर घायल के इलाज के लिए केंद्र सरकार की ओर से अधिकतम 1.5 लाख रुपए की मदद दी जाएगी।
डेढ़ लाख से ऊपर खर्च पर खुद पैसे देने होंगे अस्पताल को प्राथमिक उपचार के बाद बड़े अस्पताल में रेफर करना है तो उस अस्पताल को सुनिश्चित करना होगा कि जहां रेफर किया जा रहा है, वहां मरीज को दाखिला मिले।
डेढ़ लाख तक कैशलेस इलाज होने के बाद उसके भुगतान में नोडल एजेंसी के रूप में NHAI काम करेगा, यानी इलाज के बाद मरीज या उनके परिजन को डेढ़ लाख तक की रकम का भुगतान नहीं करना है।
यदि इलाज में डेढ़ लाख से ज्यादा का खर्च आता है तो बढ़ा बिल मरीज या परिजन को भरना होगा। सूत्रों का कहना है कि कोशिश यह हो रही है कि डेढ़ लाख की राशि को बढ़ाकर 2 लाख रुपए तक किया जा सके।
दरअसल, दुर्घटना के बाद का एक घंटा ‘गोल्डन ऑवर’ कहलाता है। इस दौरान इलाज न मिल पाने से कई मौतें हो जाती हैं। इसी को कम करने के लिए यह योजना शुरू की जा रही है।
समय पर इलाज न मिलने से मरने वालों की संख्या ज्यादा भारत में 2023 में लगभग 1.5 लाख लोग सड़क हादसों में मारे गए। 2024 में जनवरी-अक्टूबर के बीच 1.2 लाख जानें गईं। 30-40% लोग समय पर इलाज न मिलने से दम तोड़ देते हैं।
वहीं, सड़क हादसे के घायलों के इलाज में औसतन 50,000 से 2 लाख रुपए का खर्च आता है। गंभीर मामलों में खर्च 5-10 लाख तक पहुंच जाता है। डेढ़ लाख रुपए तक फ्री इलाज की योजना से हर साल करीब 10 हजार करोड़ का बोझ पड़ने का अनुमान है।
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देशभर में हुए सड़क हादसों में पिछले साल यानी 2024 में 1 लाख 80 हजार मौतें हुई हैं। मृतकों में 66% लोग 18 से 34 साल के युवा थे। अगर समय पर इलाज मिल जाता तो इनमें से कई लोगों को बचाया जा सकता था। इसी को ध्यान में रखते हुए 7 जनवरी को दिल्ली के भारत मंडपम में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कैशलेस ट्रीटमेंट योजना की घोषणा की है। पूरी खबर पढ़ें…