इंदौर के सुखलिया स्थित लिटिल वंडर कॉन्वेंट स्कूल द्वारा तीन छात्रों को टर्मिनेट किए जाने के मामले में मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संज्ञान लिया है। आयोग ने इंदौर कलेक्टर को जांच के निर्देश दिए हैं और सात दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने
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यह मामला तब सामने आया जब एक अभिभावक ने 9 मार्च को आयोग में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में आरोप लगाया गया कि, स्कूल प्रबंधन ने बिना निष्पक्ष जांच या सुनवाई के उनके बच्चे को स्कूल से निकाल दिया। छात्रों पर आरोप है कि उन्होंने शिक्षकों के मीम बनाकर आपत्तिजनक भाषा के साथ सोशल मीडिया पर अपलोड किए। साथ ही, स्कूल प्रबंधन पर जेजे एक्ट के उल्लंघन और छात्रों को शिक्षा से वंचित करने के आरोप भी लगाए गए हैं।
मामले को लेकर भास्कर ने स्कूल प्रबंधन से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।
क्या है JJ Act, 2015 धार
यह धारा उन मामलों पर लागू होती है, जहां कोई व्यक्ति या संस्था किसी बच्चे को किसी भी तरह की हानिकारक स्थिति में डालती है। यदि कोई बच्चा किसी भी प्रकार के शोषण, मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना या शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जाता है तो यह धारा लागू होती है।
यह है प्रावधान
कोई भी व्यक्ति किसी भी बच्चे को किसी भी प्रकार की सामाजिक, मानसिक, शारीरिक या शैक्षणिक हानि नहीं पहुंचा सकता। अगर कोई संस्था किसी बच्चे को शिक्षा से वंचित करती है या अनुचित व्यवहार करती है, तो यह धारा लागू हो सकती है। इसमें तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। JJ Act, 2015 की धारा 75
यह धारा उन सभी मामलों पर लागू होती है, जहां किसी बच्चे के साथ क्रूरता बरती जाती है। इसमें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक या शैक्षिक शोषण शामिल हो सकता है। कोई भी व्यक्ति बच्चे की देखभाल या संरक्षण की जिम्मेदारी में रहते हुए यदि उसे जानबूझकर शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित करता है, तो यह अपराध होगा। शिक्षा से वंचित करना, स्कूल से निकालना या मानसिक उत्पीड़न करना भी इस धारा के तहत क्रूरता मानी जा सकती है। यह प्रावधान विशेष रूप से अभिभावकों, स्कूल प्रशासन, शिक्षक और देखभाल करने वालों पर लागू होता है।
सजा का प्रावधान
पहली बार अपराध करने पर 5 साल तक का कारावास या 5 लाख तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। अगर दोबारा अपराध किया गया तो 7 साल तक कारावास और 5 लाख तक का जुर्माने का प्रावधान है।