पांच दिन बाद होली है। रंग-गुलाल के बाजार सजने लगे हैं। इस बार सबसे खास है पलाश के फूलों से तैयार हर्बल गुलाल। इसके लिए झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) ने बड़ी तैयारी की है। महिला समूह हर्बल गुलाल बनाने में जुटी हैं। इस बार 13 जिलो
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वे फूल तोड़ने से लेकर गुलाल बनाने और पैकेट में बंद करने तक का काम कर रही हैं। रांची, हजारीबाग, पलामू, चतरा, रामगढ़, खूंटी और लोहरदगा में हर्बल गुलाल प्रदर्शनी और बिक्री स्टॉल भी शुरू हो चुका है। जबकि इसे तैयार करने के लिए रांची, पूर्वी-पश्चिमी सिंहभूम, हजारीबाग, गिरिडीह, पलामू, लातेहार, सरायकेला, लोहरदगा, धनबाद, सिमडेगा और खूंटी में इकाई लगाई गई है। दरअसल 2020 में मांडू में जेएसएलपीएस से जुड़े एक महिला समूह की पांच महिलाओं ने पलाश से हर्बल गुलाल बनाने का काम शुरू किया था। अब 13 जिलों में 90 से ज्यादा महिला समूह की 780 महिलाएं इसे तैयार कर रही हैं। अब इनका प्रयास उत्पादन बढ़ाना और इसे विदेश तक पहुंचाना है।
पालक, हल्दी, चुकंदर और गेंदा फूल से भी तैयार हो रहा गुलाल
झारखंड में पलाश के फूलों के साथ ही पालक, गेंदा, सिंद्धार फूल, हल्दी और चुकंदर से भी गुलाल बनाया जा रहा है, जो पूरी तरह से त्वचा के लिए सुरक्षित है। इसमें किसी केमिकल का उपयोग नहीं किया जाता। हरे रंग का गुलाल पालक से तो गुलाबी रंग का चुकंदर (बीट) से तैयार किया जा रहा है। वहीं पीले रंग के लिए हल्दी तो नीले रंग के लिए सिंद्धार फूल और पत्तियों का उपयोग किया जाता है।
जानिए… पलाश के फूल से हर्बल गुलाल बनाने की पूरी प्रक्रिया, आप इसे घर पर भी आसानी से बना सकते हैं
1. पेड़ से तोड़ने के बाद पलाश के फूल को दो-तीन दिन तक सुखाया जाता है, ताकि नमी न रहे। फिर फूल के काले हिस्से को अलग कर दिया जाता है।
2.फूल के पूरी तरह से सूख जाने के बाद इसे मिक्सी में पीसा जाता है। इसके बाद इसे छानकर अलग करते हैं, जिससे गुठली जैसा कुछ रह न जाए।
3. एक बड़े बर्तन में अरारोट पाउडर में पीसे हुए फूल को मिलाया जाता है। सुगंध के लिए इसमें गुलाब जल या एसेंशियल ऑयल मिलाया जाता है। 4. पूरी तरह सूखने के बाद छलनी से छाना जाता है, ताकि महीन और मुलायम गुलाल तैयार हो। फिर बाजार में पहुंचता है।
हर्बल गुलाल त्वचा के लिए सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल होता है। आंखों और बालों के लिए भी सुरक्षित होता है। इसलिए लोग इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं। इसी का नतीजा है कि हर्बल गुलाल की मांग साल-दर-साल तेजी से बढ़ती जा रही है।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा पलाश
पलाश ब्रांड के जरिए हम ग्रामीण महिलाओं के हाथों से बने उत्पाद को बाजार तक पहुंचा रहे हैं। पलाश हर्बल गुलाल न सिर्फ पर्यावरण के लिए अनुकूल है, बल्कि इससे महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं। उनकी आय तो बढ़ ही रही है, इससे ग्रामीण उद्यमिता को भी बढ़ावा मिल रहा है।
-कंचन सिंह, सीईओ, जेएसएलपीएस