शिवजी की पूजा | Image:
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Shiv Mrityunjaya Stotram: सनातन धर्म में सोमवार के दिन का खास महत्व होता है। इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा और व्रत किए जाने का विधान है। मान्यता है कि भगवान शिव भक्तों के थोड़े प्रयासों से ही प्रसन्न हो जाते हैं, इसलिए उन्हें भोलेनाथ कहा जाता है।
कहते हैं कि अगर एक बार महादेव प्रसन्न हो गए तो वह अपने भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं। ऐसे में अगर आप भी सोमवार के दिन भगवान शिव का व्रत कर रहे हैं तो आपको शिव मृत्युञ्जय स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे महादेव की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी।
शिव मृत्युञ्जय स्तोत्र (Shiv Mrityunjaya Stotram)
रत्नसानुशरासनं रजताद्रिश्रृंगनिकेतनं
शिञ्जिनीकृतपन्नगेश्वरमच्युतानलसायकम्।
क्षिप्रदग्धपुरत्रयं त्रिदशालयैरभिवंदितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥1॥
पंचपादपपुष्पगन्धिपदाम्बुजद्वयशोभितं
भाललोचनजातपावकदग्धमन्मथविग्रहम्।
भस्मदिग्धकलेवरं भवनाशिनं भवमव्ययं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥2॥
मत्तवारणमुख्यचर्मकृतोत्तरीयमनोहरं
पंकजासनपद्मलोचनपूजितांगघ्रिसरोरुहम्।
देवसिद्धतरंगिणी करसिक्तशीतजटाधरं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥3॥
कुण्डलीकृतकुण्डलीश्वरकुण्डलं वृषवाहनं
नारदादिमुनीश्वरस्तुतवैभवं भुवनेश्वरम्।
अंधकान्तकमाश्रितामरपादपं शमनान्तकं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥4॥
यक्षराजसखं भगाक्षिहरं भुजंगविभूषणं
शैलराजसुतापरिष्कृतचारुवामकलेवरम्।
क्ष्वेडनीलगलं परश्वधधारिणं मृगधारिणं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥5॥
भेषजं भवरोगिणामखिलापदामपहारिणं
दक्षयज्ञविनाशिनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम्।
भुक्तिमुक्तिफलप्रदं निखिलाघसंघनिबर्हणं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥6॥
भक्तवत्सलमर्चतां निधिमक्षयं हरिदम्बरं
सर्वभूतपतिं परात्परमप्रमेयमनूपमम्।
भूमिवारिनभोहुताशनसोमपालितस्वाकृतिं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥7॥
विश्वसृष्टिविधायिनं पुनरेव पालनतत्परं
संहरन्तमथ प्रपंचमशेषलोकनिवासिनम्।
क्रीडयन्तमहर्निशं गणनाथयूथसमाव्रतं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥8॥
रुद्रं पशुपतिं स्थाणुं नीलकण्ठमुमापतिम्।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥9॥
कालकण्ठं कलामूर्तिं कालाग्निं कालनाशनम्।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥10॥
नीलकण्ठं विरुपाक्षं निर्मलं निरूपद्रवम्।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥11॥
वामदेवं महादेवं लोकनाथं जगद्गुरुम्।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥12॥
देवदेवं जगन्नाथं देवेशमृषभध्वजम्।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥13॥
अनन्तमव्ययं शान्तमक्षमालाधरं हरम्।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥14॥
आनन्दं परमं नित्यं कैवल्यपदकारणम्।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥15॥
स्वर्गापवर्गदातारं सृष्टिस्थित्यन्तकारिणम्।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥16॥
इति श्रीपद्मपुराणान्तर्गत उत्तरखण्डे श्रीमृत्युञ्जयस्तोत्रं सम्पूर्णम्॥
शिव मृत्युंजय स्तोत्र के पाठ से मिलने वाले लाभ (Shiv Mrityunjaya Stotram ke labh)
धन की कमी नहीं होती
यह मंत्र आर्थिक समृद्धि और धन के अभाव को दूर करता है, जिससे घर में कभी धन की कमी नहीं होती।
सभी रोगों का नाश होता है
यह मंत्र शारीरिक और मानसिक रोगों को नष्ट करता है और स्वास्थ्य में सुधार लाता है।
रुके हुए काम पूरे होते हैं
जो काम लंबे समय से अटके हुए हों, वे इस मंत्र के जाप से पूरे होते हैं।
बिजनेस में वृद्धि होती है
व्यापारी और व्यवसायी इस मंत्र से अपने कारोबार में वृद्धि और सफलता प्राप्त करते हैं।
मांगलिक दोष खत्म होता है
विवाह में आ रही समस्याओं और मांगलिक दोष को समाप्त करने में यह मंत्र मदद करता है, जिससे सुखमय वैवाहिक जीवन मिलता है।
भगवान शिव प्रसन्न होते हैं
इस मंत्र का जाप करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जो भक्तों की सभी परेशानियों को दूर करते हैं।
जीवन खुशहाल होता है
शिव मृत्युंजय स्तोत्र मानसिक शांति और सकारात्मकता लाता है, जिससे जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।
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