Akal Mrityu Ka Rahasya : जीवन और मृत्यु दोनों इस दुनिया के अपरिहार्य पहलू हैं. हर व्यक्ति को एक न एक दिन मृत्यु का सामना करना ही पड़ता है, चाहे वह किसी भी अवस्था में हो. परंतु, जब किसी का जीवन अचानक, अप्रत्याशित रूप से समाप्त हो जाता है, तो इसे अकाल मृत्यु कहा जाता है. गरुड़ पुराण में अकाल मृत्यु और उससे जुड़ी घटनाओं को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं. आइए, जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से इस प्राचीन ग्रंथ में दी गई रहस्यमयी बातें और अकाल मृत्यु से जुड़ी खास जानकारी.
मृत्यु का समय और उसका अनुभव
गरुड़ पुराण के अनुसार, जब मृत्यु का समय नजदीक आता है, तो व्यक्ति के आसपास कई घटनाएं घटित होती हैं. सबसे पहले, उसे यमराज और यमदूत दिखाई देने लगते हैं. व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता घटने लगती है, और उसकी आवाज़ भी धीमी होती जाती है. इस समय, उसे अपने जीवन के कुछ अनमोल क्षण याद आते हैं, और अंत में यमराज उसकी आत्मा को शरीर से बाहर निकालकर यमलोक ले जाते हैं.
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यमलोक और आत्मा का मूल्यांकन
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि जब आत्मा यमलोक पहुंचती है, तो वहां उसके सभी कर्मों का लेखा-जोखा होता है. अच्छे कर्मों के आधार पर उसे स्वर्ग में भेजा जाता है, जबकि बुरे कर्मों के आधार पर उसे नरक की यातनाओं से गुजरना पड़ता है. यमलोक तक पहुंचने के दौरान आत्मा को कई प्रकार की परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है. यमदूत उसे विभिन्न स्थानों पर लेकर जाते हैं, जहां वह अपने कर्मों का हिसाब देता है.
अकाल मृत्यु और उसके प्रभाव
अकाल मृत्यु वह मृत्यु होती है जो किसी अप्राकृतिक कारण से होती है, जैसे कि दुर्घटना, हत्या या आत्महत्या. गरुड़ पुराण में इस प्रकार की मृत्यु को विशेष रूप से माना गया है, क्योंकि यह व्यक्ति के कर्मों के हिसाब से नहीं होती. गरुड़ पुराण में लिखा है कि अगर किसी ने अपनी जान ली, तो उसे बहुत ज्यादा कष्ट झेलने पड़ते हैं. आत्महत्या करने वाली आत्माओं को 60 हजार वर्षों तक नरक की यातनाएं भोगनी पड़ती हैं.
अकाल मृत्यु की श्रेणियां
1. भूख से मरना
2. हिंसा या हत्या का शिकार होना
3. फांसी लगाकर मरना
4. आग में जलकर मरना
5. सांप के काटने से मरना
6. जहर खाकर मरना
ऐसे लोग अगले जन्म में मानव शरीर प्राप्त नहीं कर पाते. उनकी आत्मा को अलग-अलग नरकों में भेजा जाता है, जहां उन्हें कठोर दंड मिलता है.
पिंडदान और मोक्ष
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद पिंडदान का विशेष महत्व है. यदि मृतक के परिवार वाले सही समय पर पिंडदान नहीं करते, तो उसकी आत्मा भटकती रहती है और उसे मोक्ष प्राप्त नहीं होता. मृतक के परिवारजनों द्वारा किए गए धार्मिक अनुष्ठान उसे शांति और मुक्ति प्रदान करते हैं.
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अकाल मृत्यु और आत्मा का पुनर्जन्म
गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्मा का पुनर्जन्म उस समय होता है जब उसकी मृत्यु के तीन दिन बाद उसे नया शरीर मिल जाता है. इस समय के भीतर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जैसे कि दशगात्र और तेरहवीं. जो आत्माएं आत्महत्या करती हैं, वे अधर में लटक जाती हैं और जब तक उनका निर्धारित समय पूरा नहीं होता, तब तक वे भटकती रहती हैं.