दबोह के अमाह के पास रणकौशला देवी।
भिंड जिले में चैत्र नवरात्र महोत्सव की शुरुआत रविवार को घट स्थापना और विशेष पूजा-पाठ के साथ हुई। श्रद्धालुओं ने घरों और मंदिरों में पूरे विधि-विधान से माता रानी की आराधना की। जिले के प्रमुख देवी मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी, जहां म
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चैत्र नवरात्रि के साथ ही सनातन संस्कृति के अनुसार नवसंवत्सर 2082 का शुभारंभ भी हुआ। इस अवसर पर शहरभर में धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। हिंदू संगठनों द्वारा लोगों को मंगल तिलक लगाकर नववर्ष की शुभकामनाएं दी जा रही हैं।
नवसंवत्सर के अवसर पर भिंड शहर में आज (रविवार) महाराजा विक्रमोत्सव 2025 का आयोजन किया जाएगा। कम्युनिटी हॉल, मेला ग्राउंड में सुबह 10 बजे से होने वाले इस कार्यक्रम में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। इस दौरान सम्राट विक्रमादित्य पर केंद्रित नाट्य मंचन किया जाएगा, जिसमें उनकी वीरता और न्यायप्रियता की झलक देखने को मिलेगी।
मां मंगलादेवी पर भी श्रद्धालु पूजा अर्चना करने पहुंचे।
गुड़ी पड़वा का विशेष महत्व चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टि की रचना का दिन माना जाता है। इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना के साथ ब्रह्म ध्वज (गुड़ी) का आरोहण किया जाता है। महाराष्ट्र में इसे ‘गुड़ी पड़वा’ पर्व के रूप में मनाया जाता है।
देवी मंदिरों में उमड़ा आस्था का सैलाब गौरी तालाब स्थित काली देवी मंदिर, गौरी देवी मंदिर, संतोषी माता मंदिर, चरथर गांव का माता मंदिर, लहार स्थित मां मंगला देवी मंदिर और मिहोनी वाली माता मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। यहां भक्तजन मां दुर्गा की आराधना कर सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं।
पंडित वाचस्पति शास्त्री के अनुसार, नवरात्र पूजन के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:11 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक था। इस दौरान भक्तों ने विधिपूर्वक घट स्थापना कर देवी मां का आह्वान किया।