धार जिले में मेडिकल कॉलेज की स्थापना का रास्ता प्रशस्त हो गया है। जिला अस्पताल के उन्नयन के साथ मेडिकल कॉलेज का निर्माण पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर किया जाएगा। प्रशासन ने इस परियोजना के लिए 13 मार्च को 260 करोड़ रुपए का टेंडर जारी कर
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यह परियोजना क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा देगी। मेडिकल कॉलेज के शुरू होने के कुछ वर्षों बाद प्रदेश को नए चिकित्सक मिलेंगे। इससे धार जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा और स्थानीय स्तर पर बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
लैंड यूज को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं
जिला मुख्यालय पर धार विधायक नीना विक्रम वर्मा के प्रयासों से मेडिकल कॉलेज विधानसभा चुनाव के पहले स्वीकृत किया गया था। उसके लिए शहर से बाहर जमीन भी आवंटित कर दी गई थी। इसके आसपास करीब दो करोड़ की राशि खर्च करके बाउंड्रीवाल निर्माण किया गया था। इस दौरान यह जानकारी सामने आई कि आवंटित भूमि कंजर्वेशन लैंड यानि संरक्षित क्षेत्र की भूमि है, जहां पर निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता है। यह स्थिति सामने आने के बाद राज्य शासन को लैंड यूज बदलने के लिए अनुमति मांगी गई है। यह अनुमति अभी तक नहीं आई है, लेकिन जिस तरह से टेंडर जारी किए गए है। इससे संभावना है कि विशेष अनुमति दे दी जाएगी।
अस्पताल उन्नयनिकरण से बेहतर होगी सेवाएं
जारी 260 करोड़ के टेंडर में जिला अस्पताल उन्नयनिकरण का काम भी शामिल है। इसमें अस्पताल की बेड संख्या मेडिकल कॉलेज के नॉर्म्स के अनुपात में बढ़ाई जाएगी। बेड बढ़ेंगे तो विषय विशेषज्ञ चिकित्सक एवं अन्य सुविधाएं भी बढ़ाई जाएगी। उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल में ट्रामा सेंटर भी बनाया गया था। उस दौरान दावा किया गया था कि आपातकालीन स्थितियों में गंभीर लोगों का इलाज यहीं पर हो सकेगा। ट्रामा सेंटर का भवन तो बन गया, लेकिन आपातकालीन चिकित्सीय उपकरण और विशेषज्ञ सर्जन एवं अन्य चिकित्सक मुहैया नहीं हुए। नतीजे में ट्रामा सेंटर सिर्फ नाम का भवन रह गया है।