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बड़ा मंगल क्या होता है? मुगल शासक ने क्यों बंटवाया प्रसाद? जानें इसका ऐतिहासिक महत्व और तारीख


Bada Mangal 2025 : ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को बड़ा मंगल अर्थात बुढ़वा मंगल कहते हैं. ज्येष्ठ माह में जितने भी मंगल होते हैं वह बड़ा मंगल कहलाते हैं. इन मंगलवार को हनुमान मंदिरों में हनुमान जी की विशेष पूजा अर्चना होती है. मान्यता के अनुसार इस दिन हनुमान जी की वृद्ध स्वरूप का पूजन किया जाता है. यह सभी मंगलवार हनुमान जी के लिए समर्पित होते हैं. उत्तर भारतीय खासकर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल, मध्य हिस्से में इसे बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है.

बड़ा मंगल कब है : ज्येष्ठ माह में बुढ़वा मंगल के पांच पर्व है. इन दिनों में लोग हनुमान जी की पूजा के साथ भंडारे और प्रसाद वितरण करते हैं. आइये इनकी तारीख आप लोगों को बताते हैं.

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प्रथम बुढ़वा मंगल : 13 मई 2025, दिन मंगलवार
द्वितीय बुढ़वा मंगल : 20 मई 2025, दिन मंगलवार
तृतीय बुढ़वा मंगल : 27 मई 2025, दिन मंगलवार
चतुर्थ बुढ़वा मंगल : 2 जून 2025, दिन मंगलवार
पंचम बुढ़वा मंगल : 10 जून 2025, दिन मंगलवार

बड़ा मंगल का महत्व : श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान जी के भक्तों के लिए यह पर्व खासा महत्व रखता है. श्री राम की कृपा पाने का एकमात्र रास्ता हनुमान जी माने जाते हैं. माना जाता है कि हनुमान जी अपने भक्तों की बुरी शक्तियों और अकाल मृत्यु से रक्षा करते हैं. हनुमान जी की पूजा करने से ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल और शनि ग्रह की शांति होती है. माना जाता है बुढ़वा मंगल पर हनुमान जी की पूजा करने से वह अपने भक्तों पर अपनी दया दृष्टि और आशीर्वाद बनाए रखते हैं.

बुढ़वा मंगल पर पूजा : बुढ़वा मंगल के दिन अपने नजदीक में स्थित किसी भी राम दरबार या हनुमान मंदिर में बजरंगबली की आरती सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. इसके अलावा जीवन में सुख शांति और सौभाग्य में वृद्धि के लिए बुढ़वा मंगल पर इस मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए.

मंत्र :
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमित विक्रमाय
प्रकटपराक्रमाय महाबलाय सूर्य कोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।

बड़ा मंगल का प्राचीन महत्व : शास्त्रों के अनुसार प्रभु श्री राम माता सीता की खोज में दर-दर भटकते हुए जिस दिन हनुमान जी से मिले थे उसे दिन ज्येष्ठ माह का मंगलवार था.

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मुगलों से संबंध : मुगल शासक नवाब मोहम्मद वाजिद अली शाह के बेटे की तबीयत खराब होने से उनके परिवार में अमन चैन खत्म हो गया था. किसी भी दवा का असर नहीं हो रहा था. लोगों ने कहा की लखनऊ के अलीगंज में स्थित हनुमान जी के मंदिर में जाकर दुआ मांग लीजिए. ऐसा करने के बाद धीरे-धीरे उसे बच्चों की तबीयत ठीक होना शुरू हो गई.

इसके बाद मुगल शासक वाजिद अली शाह और उनकी बेगम ने अलीगंज में हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार कराया, जो ज्येष्ठ माह में पूरा हुआ. इसके बाद पूरे लखनऊ शहर में मंगलवार के दिन गुड का प्रसाद बांटा गया. तब से आज तक पूरे लखनऊ में भंडारा,प्रसाद बांटने की परंपरा चली आ रही है.



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