बड़े तालाब के कैचमेंट में अवैध निर्माण… कट रहीं कॉलोनियां
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नीलबड़ व रातीबड़ के आसपास ही ऐसी 50 से ज्यादा कॉलोनियां
जगह-जगह लगे हैं बोर्ड-यहां प्लॉट उपलब्ध हैं….
पिछले 30 सालों में बड़े तालाब के एरिया में जो 25 फीसदी की कमी आई है उसकी असल वजह है तालाब के कैचमेंट में होने वाला निर्माण। वैध और अवैध तरीके से तालाब के कैचमेंट और आसपास के इलाके में तेजी से फार्म हाउस, कॉलोनियां और मकान ही नहीं, बल्कि रेस्त्रां और दुकानें भी बन रही हैं।
इंटखेड़ी छाप, जमुनिया छीर, भैंसाखेड़ी, बेहटा, बोरवन के साथ तालाब के दूसरी ओर बमोरी, बिशनखेड़ी, सेवनिया गौंड आदि में भी ग्रीन बेल्ट तेजी से कम हो रहा है। बिशनखेड़ी से लेकर नीलबड़-रातीबड़ तक फार्म हाउस तेजी से बन रहे हैं। साथ ही अवैध कॉलोनियां भी बन रही हैं। इनकी संख्या 50 से ज्यादा हो चुकी है।
बिशनखेड़ी में तो ज्यादातर फाम हाउस अफसरों और नेताओं के हैं। इन फार्म हाउस के लिए इस तरह बाउंड्रीवॉल बनाई गईं हैं कि कई जगह तो तालाब के पास तक जाना संभव नहीं है। नीलबड़ रोड से भीतर जाने पर तालाब के पास तक मकान बनते दिखाई दे रहे हैं।
सड़कें, सीवेज, बिजली के खंभे, सबकुछ… नीलबड़ मेनरोड से बड़े तालाब की ओर भीतर जाने पर ये कॉलोनी दिखाई दीं। यहां करीब 100 प्लॉट काटे जा रहे हैं।
भीतरी इलाकों में तो बिल्कुल पास तक बन रहे मकान
तालाब के आसपास अवैध कॉलोनियां बनाने के लिए चौड़ी सड़कें बन रहीं हैं। पहली नजर में ऐसा लगता है जैसे कोई पॉश कॉलोनी बन रही हो। मास्टर प्लान-2005 में पीएसपी लैंड्यूज के लिए जो जमीन आरक्षित की गई थी, उसका तो करीब दस साल पहले ही पूरा उपयोग हो गया। अब तो खेतों में कॉलोनियां और सड़कें बनती हुई देखी जा सकती हैं। नीलबड़ रोड के भीतर जाने पर तालाब के पास तक मकान बन रहे हैं।
कलखेड़ा में इस तरह भव्य गेट बनाकर भीतर कॉलोनी डेवलप की जा रही है।
इसी तरह… इस पूरे इलाके में अवैध कॉलोनी के निर्माण के लिए बाकायदा सड़क बन रही हैं। कई जगह इन सड़कों की चौड़ाई 35 फीट तक है।
हद कर दी… मुनारें उखाड़ अपने हिसाब से लगा लीं
एनजीटी के आदेश पर बड़े तालाब के एफटीएल यानी 50 मीटर की हद तय करने मुनारें लगाने का काम शुरू हुआ था। 907 मुनारें लगाईं गईं। साल 2016 में ही इनमें से 700 मुनारें सही लोकेशन पर नहीं मिलीं थीं। यानी लोगों ने मुनारों को अपने हिसाब से आगे-पीछे कर लिया। आज जिस तरह से तालाब को घेर लिया गया है उसमें मुनारों की स्थिति का वेलिडेशन संभव नहीं है।
दरअसल, सरकारी रिकॉर्ड में कहीं भी यह दर्ज नहीं है कि बड़े तालाब की हद कहां से कहां तक है? रिकॉर्ड में तालाब का आकार 36 वर्ग किमी है। मास्टर प्लान-2031 के ड्राफ्ट में इसे 34 वर्ग किमी बताया गया है। जबकि 2016 में हुए डीजीपीएस सर्वे में इसे 38.72 वर्ग किमी बताया गया।