चंडीगढ़ नगर निगम की सीमा में मोहाली से कुत्तों को लाकर नसबंदी कराने का मामला सामने आया है, 3 महीने तक यह खेल चलता रहा, जिसमें 200 से ज्यादा कुत्ते चंडीगढ़ की सीमा के बाहर से लाकर यहां नसबंदी कराई गई। नगर निगम ने इस पर करीब 3 लाख से ज्यादा का फर्जी भु
.
1700 रुपए प्रति कुत्ते की नसबंदी
नगर निगम नसबंदी के लिए संबंधित फर्म को प्रति कुत्ता 1700 रुपए का भुगतान करता है। इस योजना के तहत नगर निगम की टीम खुद कुत्तों को पकड़कर लाती है, जबकि सामाजिक संस्थाएं भी कुत्तों को लाकर नसबंदी करवा सकती हैं। इसी का फायदा उठाते हुए तीन महीने तक मोहाली और जीरकपुर से कुत्तों को लाकर चंडीगढ़ में नसबंदी दिखाई गई।
आवारा कुत्ते (फाइल फोटो)
फर्जीवाड़े को छुपाने के लिए इन कुत्तों को चंडीगढ़ का दिखाने के लिए स्थानीय व्यक्तियों के आधार कार्ड का इस्तेमाल किया गया। इन आधार कार्ड को दिखाकर यह बताया जाता था कि कुत्ते चंडीगढ़ के अलग-अलग इलाकों से पकड़े गए हैं।
6 कुत्ते पकड़े जाने पर खुलासा
नगर निगम डॉग कंट्रोल सेल के नोडल अधिकारी गौरव लखनपाल ने बताया कि मामला तब सामने आया जब बाहरी इलाके से 6 कुत्ते लाए गए। आरोपियों ने दावा किया कि ये कुत्ते सेक्टर-22 से लाए गए हैं, लेकिन जब सेनेटरी इंस्पेक्टर ने जांच की तो पूरा मामला फर्जी निकला। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने स्वीकार किया कि वे पहले भी ऐसा कर चुके हैं और बाहर से कुत्ते लाकर नसबंदी दिखाते थे। इसके बाद नगर निगम ने मौलीजागरा पुलिस को शिकायत दी।
प्रजनन प्रक्रिया रुक जाती है
नसबंदी के बाद कुत्तों की प्रजनन प्रक्रिया रुक जाती है, वे हिंसक नहीं होते और शांत हो जाते हैं। चंडीगढ़ में 2022 से कुत्तों की नसबंदी का अभियान चल रहा है, जिसमें अब तक 10 हजार से ज्यादा कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। बावजूद इसके कुत्तों के काटने के मामले कम नहीं हुए हैं। हेल्थ विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में अब तक 40 हजार लोगों को रेबीज का इंजेक्शन लगाया जा चुका है।