सरकार हर जिले, शहर का गौरव दिवस तो मनाती है। लेकिन नर्मदापुरम जिले का गुनौरा संभवतः प्रदेश में पहला ऐसा गांव होगा, जिसका हर साल 22 जनवरी को अपना गौरव दिवस मनेगा। पिछले साल अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन ही गुनौरा के ठाकुरजी रामलला म
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आज बुधवार को बेटी-दामाद पूजन से इस परंपरा का शुभारंभ होगा। बुधवार को पूरे गांव की बेटी-दामादों का राम मंदिर में पैर पखारकर, तिलक लगाकर सम्मान किया जाएगा। इसके लिए युवाओं ने गांव में और करीब 250 बेटियों के घरों में पीले चावल और मोबाइल से आमंत्रण दिया है। इसके पीछे उद्देश्य गांव का सामाजिक भेदभाव मिटाकर एकजुटता का संदेश देना है। बेटी-दामाद किसी एक परिवार के नहीं बल्कि पूरे गांव के हैं।
प्राण प्रतिष्ठा के दौरान ग्रामीणों ने लिया था संकल्प
गौरव दिवस की इस परंपरा के सूत्रधार गांव के वरिष्ठ दुष्यंत गौर, जनपद सदस्य यशवंत गौर, यज्ञदत्त गौर सहित सभी ग्रामीण हैं। मंदिर परिवार के यशवंत गौर के मुताबिक बेटियां शादी के बाद ससुराल की शोभा बढ़ाती हैं। इसलिए उन्हें गांव का गौरव मानकर इस वर्ष गौरव दिवस मनाने की परंपरा शुरू की है।
आचार्य पंडित अजय दुबे ने बताया कि ठाकुरजी रामलला मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान हर वर्ष गौरव दिवस मनाने का संकल्प सभी ग्रामवासियों ने लिया था। इसकी शुरुआत बेटी-दामाद पूजन से हो रही है। हर वर्ष अलग-अलग सामाजिक कार्यक्रम कराए जाएंगे।
घर-घर जाकर दिए पीले चावल
गुनौरा का राम मंदिर प्रांगण में विवाह समारोह जैसा नजारा है। मंदिर रंगीन रोशनी से सजा है। टेंट लगे हैं। गांव के युवाओं ने पिछले 5 दिन से अपने परिवार की बहन-बेटियों के घर पीले चावल डालकर बेटी-दामाद पूजन का आमंत्रण दिया है। यशवंत गौर के मुताबिक 250 से अधिक परिवारों की बेटियों के घर आमंत्रण दिए हैं। बुधवार को मंदिर प्रांगण में बेटी-दामादों का पैर पूजकर (मानदान) उन्हें उपहार दिया जाएगा। बेटियों को पूजन सामग्री भी दी जाएगी।