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लखनऊ में ज्यादा यूनिवर्सिटी बनीं तो स्टूडेंट्स नहीं आएंगे: यूपी का एजुकेशन सिस्टम अमेरिका जैसा होगा, AI के एडवर्स इफेक्ट को लेकर अलर्ट रहें – Lucknow News



बैलेंस होना जरूरी है। यदि ऐसा हुआ कि यूनिवर्सिटी की संख्या ज्यादा हो गई तब यहां स्टूडेंट्स की संख्या कम हो जाएगी। ऐसे में सारा कैलकुलेशन गलत होगा। लखनऊ मौजूदा दौर में एजुकेशन का हब बनकर उभरा है।

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यहां कई अच्छी यूनिवर्सिटी मौजूद हैं। जो स्टूडेंट्स को क्वालिटी एजुकेशन मुहैया करा रही हैं। मेरा ये कहना है कि जरूरत के मुताबिक ही यूनिवर्सिटी बनाई जानी चाहिए, जिससे इनको बनाने का मकसद तरीके से पूरा किया जा सके।

ये कहना है लखनऊ की इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के फाउंडर चांसलर प्रो. सैयद वसीम अख्तर का। उन्होंने दावा किया कि इंटीग्रल यूनिवर्सिटी प्रदेश की पहली मान्यता प्राप्त निजी यूनिवर्सिटी रही है।

उन्होंने कहा- डिमांड और सप्लाई का जो फंडामेंटल रूल है, वो पढ़ाई में भी लागू होगा। नहीं तो अगले 10 साल में अमेरिका, जापान, फ्रांस जैसे विकसित देशों के तर्ज पर यूपी का एजुकेशन सिस्टम आगे बढ़ेगा।

कैंपस@लखनऊ सीरीज के 138वें एपिसोड में लखनऊ के इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रो. सैयद वसीम अख्तर से खास बातचीत..

AI का जबरदस्त इम्पैक्ट आने वाला है। मेरा ये मानना है कि इसके हर पहलुओं पर गौर करना बेहद जरूरी है। कंप्यूटर आने से पहले कोई फेरबदल करना होता था तो बेहद आसान तरीके से हो जाता था।

अब डिजिटल वर्ल्ड में मैन्युअल तरीके से ये करना आसान नहीं है। ऐसे में ये कहा जा सकता हैं कि डेवलपमेंट में AI बहुत कारगर रोल अदा करने जा रहा है पर इसके नुकसान हो सकते हैं, इसको लेकर सतर्क भी रहने की जरूरत है।



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