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सुप्रीम कोर्ट बोला- राशन कार्ड पॉपुलैरिटी कार्ड बने: कुछ राज्यों की प्रति व्यक्ति आय ज्यादा, फिर सब्सिडी पाने के लिए उनकी 75% आबादी गरीब कैसे


नई दिल्ली6 मिनट पहले

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि कुछ राज्य जब अपने विकास को दिखाना चाहते हैं तो दावा करते हैं कि उनकी प्रति व्यक्ति आय बहुत ज्यादा है, लेकिन जब सब्सिडी लेने की बात आती है, तो यही राज्य दावा करते हैं कि उनकी 75% आबादी गरीब है। इन तथ्यों को कैसे समेटा जा सकता है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि हमें चिंता है कि क्या गरीबों को दिए जाने वाले लाभ उन तक पहुंच रहे हैं जो इसके हकदार नहीं हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचे।

सुप्रीम कोर्ट प्रवासी मजदूरों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की समस्याओं से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस दौरान उसने केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ लेने के मामले में कुछ राज्यों के विरोधाभासी रुख पर चिंता जताई।

इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि ई-श्रम पोर्टल पर राशन कार्ड जारी करने के लिए आवेदन करने वाले 30 करोड़ लोगों में से 8 करोड़ को अभी तक राशन कार्ड नहीं दिए गए हैं। कोर्ट ने सरकार से फ्री राशन वितरण पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने कहा है।

कोर्ट ने सरकार से गरीबों को राशन कार्ड उपलब्ध कराने के लिए एक प्रभावी तंत्र बनाने को कहा। साथ ही कहा कि गरीबों को रियायती दर पर राशन दिया जाए, क्योंकि यह मुद्दा वास्तविक है और लोगों को भोजन उपलब्ध कराना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक अधिकार है।

याचिकाकर्ता के वकील की दलीलें

  • कोर्ट की टिप्पणी पर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि यह विसंगति लोगों की आय में असमानताओं से उपजी है। कुछ मुट्ठी भर लोग हैं, जिनके पास बाकी आबादी की तुलना में बहुत अधिक संपत्ति है और प्रति व्यक्ति आय का आंकड़ा राज्य की कुल आय का औसत है।
  • उन्होंने कहा कि अमीर और अमीर होते जा रहे हैं, जबकि गरीब गरीब ही बने हुए हैं। भूषण ने कहा- सरकार के ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत गरीब प्रवासी श्रमिकों को मुफ्त राशन दिए जाने की जरूरत है और यह आंकड़ा करीब आठ करोड़ लोगों का है।
  • भूषण ने कहा कि सरकार ने 2021 की जनगणना नहीं कराई और 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर भरोसा करना जारी रखा, जिसके चलते मुफ्त राशन की जरूरत वाले करीब 10 करोड़ लोग बीपीएल कैटेगरी से बाहर रह गए।

क्या है पूरा मामला

यह मामला कोविड-19 महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों से जुड़ा है। 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह सभी प्रवासी मजदूरों का ई श्रम पोर्टल पर रजिस्टर्ड करे और उन्हें मुफ्त राशन उपलब्ध कराए। लेकिन अब तक यह पूरी तरह से लागू नहीं हुआ, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और केंद्र से स्थिति स्पष्ट करने को कहा।

हालांकि, केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत करीब 81.35 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दे रही है और इसी तरह की एक अन्य योजना के तहत 11 करोड़ अन्य लोग शामिल हैं।

दिसंबर 2024 में कहा था- 81 करोड़ सुविधा ले रहे, सिर्फ टैक्सपेयर इससे बाहर

सुप्रीम कोर्ट ने 9 दिसंबर 2024 को केंद्र सरकार के मुफ्त राशन बांटने पर सख्त टिप्पणी की थी। तब कोर्ट ने कहा था- कब तक ऐसे मुफ्त राशन बांटा जाएगा। सरकार रोजगार के अवसर क्यों नहीं पैदा कर रही? कोर्ट ने यह कहकर सरकारी मुफ्त योजनाओं (Freebies) पर नाराजगी जताई थी कि अगर 81 करोड़ लोग फ्री राशन ले रहे हैं, तो इसका मतलब है कि केवल करदाता ही इससे बाहर हैं। पढ़ें पूरी खबर…

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