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हरियाणा CM को PM मोदी का नया टास्क: जल शक्ति कैंपेन का छठा वर्जन शुरू होगा; 500 गांव के ग्राउंड वाटर रिचार्ज का टारगेट फिक्स – Haryana News


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा को एक और बड़ी जिम्मेदारी दी है। इस बार पीएम मोदी ने जल शक्ति अभियान-कैच द रैन 2025 के छठे संस्करण का राष्ट्र स्तरीय शुभारंभ करना होगा। हरियाणा द्वारा पिछले 10 सालों में राष्ट्रव्यापी कार्यक्रमों की सफलता को देखते ह

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जल शक्ति अभियान-कैच द रैन के छठे संस्करण का राष्ट्र स्तरीय शुभारंभ पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम से 22 मार्च 2025 को किया जाएगा। इस कार्यक्रम में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल मुख्य अतिथि होंगे। मुख्यमंत्री नायब सिंह और सिंचाई एवं जलसंसाधन मंत्री श्रुति चौधरी विशेष रूप से उपस्थित रहेंगी।

2019 में हुई थी शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में जल शक्ति अभियान की शुरुआत 2019 में हुई थी। इस राष्ट्रीय अभियान का उद्देश्य जल संचयन, तालाबों और जल स्रोतों का पुनर्जीवन, मॉनसून के जल का पुनः उपयोग, विलुप्त हो रहे नदी का पुनर्जीवन जैसे महत्वपूर्ण प्रयासों आधारित है। मुख्यमंत्री सैनी के नेतृत्व में हरियाणा पौंड अथॉरिटी का गठन किया गया है। जो प्राचीन तालाबों के पानी को उपचारित कर सिंचाई और अन्य कार्यों के लिए उपयोग करने के प्रति लोगों को प्रेरित कर रही है। यह कार्यक्रम भी उसी कड़ी का हिस्सा है।

हरियाणा ने 500 गांवों का टारगेट फिक्स किया

मुख्यमंत्री सैनी गिरते भू -जल स्तर पर चिंता जाहिर कर चुके हैं। इसको लेकर जनवरी में हुई एक बैठक में सीएम ने पहले फेज के लिए 500 गांवों के भू-जल को रिचार्ज करने का लक्ष्य तय किया है। साथ ही इसको पूरा करने के लिए एक टाइम भी फिक्स किया है। प्रधानमंत्री भी भू-जल स्तर के नीचे गिरने पर चिंता जता चुके हैं। प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि भूजल का कम होना देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती है और इस चुनौती से निपटने के लिए हम सबको मिलकर कार्य करना होगा।

नदियों को जोड़ने पर हो रहा काम

सीएम सैनी ने हांसी -बुटाना लिंक नहर को भी वाटर -स्टोरेज के लिए प्रयोग करने की संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए हैं। CM ने प्रदेश में जल-ऑडिट से व्यापक जल -प्रबंधन करने के निर्देश दे चुके हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि राज्य से होकर गुजरने वाली नदियों को भी आपस में जोड़ने के लिए रोड़-मैप तैयार करें। इससे बरसात के दिनों में बाढ़ से होने वाले नुकसान से बचने और निम्न भू-जल स्तर को ऊपर लाने में मदद मिलेगी।



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