बेगूसराय के दिनकर कला भवन में आशिर्वाद रंगमंडल की ओर से आयोजित 10वें राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव के चौथे दिन मैथिली नाटक ‘कांट’ का मंचन किया गया। साहित्य अकादमी से सम्मानित साहित्यकार सह नाटककार प्रदीप बिहारी द्वारा लिखित मैथिली नाटक कांट का मंचन रंग सृज
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कांट की कहानी एक बच्ची पर हुए यौन हिंसा और उसके युवा होने पर भी उसके जीवन पर घटना के दुष्प्रभाव को दिखाता है। कहानी एक मध्यम वर्गीय परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है। परिवार में पिता के रूप में रामशरण, उसकी पत्नी सुनीता और बेटी पुनीता है। पुनीता जब 7वीं कक्षा में पढ़ती थी तो उसके साथ समाज के कुछ दुराचारी लोग बलात्कार करते हैं।
जब नवदीप ने अपनाया पुनीता को।
मन के विकार को निकाला
उसके शरीर को बुरी तरह से चोटिल कर उसके ही घर के आगे फेंक देते हैं। यह घटना उसे मानसिक रूप से बीमार बना देती है। पुरुष का स्पर्श उसे कांट की तरह जीवन भर चुभने लगता है। युवा होने पर समाज के रीति-रिवाज को निभाने और परिवार के दबाव में वह विवाह करने को तैयार हो जाती है। विवाह के बाद उसी रात्रि दूल्हा जिसका नाम नवदीप है।
उसके स्पर्श से पुनीता पुनः असहज होने लगती है। नवदीप बुद्धिजीवी वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है। पुनीता के साथ पूर्व घटित घटना की पूरी जानकारी लेता है और एक चिकित्सक की भांति उसके मन के विकार को निकालता है और पुनीता को सुखमय जीवन देने का वादा करता है। इसके साथ ही नाटक का शानदार समापन हो गया।
दामाद को घटना बताते सास-ससुर।
ये रहे भूमिका में
रंग सृजन आर्ट एंड सोशल एसोसिएशन के तत्वावधान में सचिन कुमार के निर्देशन में प्रस्तुत किए गए नाटक में ईशा ने पुनिता, डॉली कुमारी ने पुनीता की मां, रिया ने सुरभि, सचिन से रामशरण, मोहित मोहन ने रामाशीष, मृणाल गौतम ने नवदीप, सूरज ने नवदीप के पिता का जीवंत अभिनय किया। प्रकाश परिकल्पना मकसूदन कुमार, ध्वनि अमन शर्मा तथा मंच सज्जा अमन शर्मा एवं मृणाल गौतम का था।
अतिथि के साथ कलाकारों की टीम।
इन्होंने किया नाटक का उद्घाटन
इससे पहले नाटक का उद्घाटन गंगा समग्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेन्द्र प्रसाद, एसबीआई के क्षेत्रीय प्रबंधक ब्रजकिशोर कुमार, सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार, भारतीय मजदूर संघ के प्रवेंद्र कुमार, नाटककार प्रदीप बिहारी, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष संजय कुमार, मनीष कुमार, रंगकर्मी दीपक सिन्हा, एवं प्रभाकर कुमार से दीप प्रज्ज्वलित किया। स्वागत ललन प्रसाद सिंह, फेस्टिवल डायरेक्टर डॉ. अमित रौशन एवं अभिजीत मुन्ना ने किया।
उद्घाटन करते अतिथि।
ऐसे कार्यक्रम होते रहने चाहिए
अपने संबोधन में अतिथियों ने कला संस्कृति के विकास को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए कहा कि क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए नाटक एवं कला की अन्य विधा का विकास जरूरी है। इसके लिए समाज के लोगों को सहयोग करनी चाहिए।
आशीर्वाद नाट्य महोत्सव की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह का आयोजन निरंतर होते रहना चाहिए। मौके पर वरिष्ठ रंग समीक्षक अजीत राय, मेनका मल्लिक, वरिष्ठ रंग निर्देशक अवधेश, परवेज यूसूफ एवं रामानुज राय भी उपस्थित थे।