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मुंबई2 मिनट पहले
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मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप पिछले हफ्ते 74,563 करोड़ रुपए कम हुआ है। एक हफ्ते पहले कंपनी की वैल्युएशन 18.12 लाख करोड़ रुपए थी, जो घटकर 17.37 लाख करोड़ रुपए रह गई है।
रिलायंस के अलावा, टेलिकॉम कंपनी एयरटेल की वैल्युएशन 26,275 करोड़ कम होकर 8.94 लाख करोड़ रुपए, ICICI बैंक की 22,255 करोड़ कम होकर 8.88 लाख करोड़ रुपए, ITC की 15,449 करोड़ कम होकर 5.98 लाख करोड़, LIC की 9,930 करोड़ कम होकर 5.79 लाख करोड़ और हिंदुस्तान यूनिलीवर की वैल्युएशन 7,248 करोड़ रुपए कम होकर 5.89 लाख करोड़ रुपए रह गई है।
इंफोसिस सहित 4 कंपनियों की वैल्यू ₹1.21 लाख करोड़ बढ़ी
इधर, शेयर बाजार में गिरावट के बावजूद टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेड का मार्केट कैप 57,745 करोड़ रुपए बढ़कर 14,99,697 करोड़ रुपए हो गया है। वहीं, इंफोसिस का मार्केट कैप 28,839 करोड़, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का 19,813 करोड़ और HDFC बैंक का मार्केट कैप 14,678 करोड़ रुपए बढ़ा है।
पिछले हफ्ते 238 अंक गिरा शेयर बाजार
बीते हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार, 8 नवंबर को सेंसेक्स 55 अंक की गिरावट के साथ 79,486 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 51 अंक की गिरावट रही, ये 24,148 के स्तर पर बंद हुआ। हफ्तेभर के कारोबार के बाद बाजार में 238 अंक की गिरावट रही।
वहीं, BSE स्मॉल कैप 850 गिरकर 54,913 पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 16 में गिरावट और 14 में तेजी रही। निफ्टी के 50 शेयरों में से 27 में गिरावट और 23 में तेजी रही। NSE सेक्टोरल इंडेक्स में रियल्टी सेक्टर सबसे ज्यादा 2.90% गिरकर बंद हुआ।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।
मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।