केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरे से ठीक पहले नक्सलियों की ओर से शांति वार्ता की पेशकश की गई है। इस पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि ये सब एक स्क्रिप्टेड स्टंट है, जो अमित शाह के दौरे को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
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दीपक बैज ने कहा कि अमित शाह के आने से पहले ही नक्सलियों की तरफ से शांति वार्ता की पेशकश होती है, यह महज एक साजिश है।
यह नक्सलियों की ओर से लिखी गई स्क्रिप्ट चिट्ठी है, जो अमित शाह के लिए तैयार की गई है। उन्होंने आगे कहा कि गृहमंत्री का असली मकसद बस्तर के खनिज-संसाधनों को उद्योगपतियों के हाथों सौंपना है। वे यहां निवेशकों के लिए जमीन तलाशने आ रहे हैं, लेकिन हम ऐसा होने नहीं देंगे।
तेलुगू में जारी किया गया पत्र
दरअसल, नक्सलियों ने एक पत्र जारी कर भारत सरकार से ऑपरेशन कगार को रोकने की अपील की है। सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति द्वारा जारी यह पत्र तेलुगू भाषा में है, जिसमें संघर्ष विराम और शांति वार्ता की पेशकश की गई है। पत्र में कुछ शर्तों का भी उल्लेख किया गया है, जिनके आधार पर वे सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं।
गौरतलब है कि अमित शाह का छत्तीसगढ़ दौरा राजनीतिक रूप से काफी अहम माना जा रहा है। उनके इस दौरे के दौरान बस्तर में सुरक्षा और नक्सल मुद्दों पर बड़ी घोषणाएं हो सकती हैं। वहीं, कांग्रेस का कहना है कि “इस पूरे घटनाक्रम के पीछे उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने की योजना है।
तेलुगू में जारी किए गए पत्र का हिन्दी अनुवाद…….
नक्सलियों के शांति वार्ता प्रस्ताव में रखी गई शर्तें और आरोप
नक्सलियों की शीर्ष इकाई सीपीआई (माओवादी) केंद्रीय समिति ने भारत सरकार को एक पत्र लिखकर संघर्ष विराम और शांति वार्ता की पेशकश की है। इस पत्र में ऑपरेशन कगार को तत्काल रोकने, सुरक्षा बलों की वापसी और वार्ता के लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं।
शांति वार्ता और संघर्ष विराम की अपील
- माओवादी संगठन ने मध्य भारत में जारी सशस्त्र संघर्ष को तत्काल रोकने की मांग की है।
- भारत सरकार और सीपीआई (माओवादी) दोनों को बिना शर्त संघर्ष विराम के लिए सहमत होने को कहा गया है।
‘ऑपरेशन कगार’ पर आपत्ति
- भाजपा सरकार की तरफ से शुरू किए गए ऑपरेशन कगार को उग्रवाद विरोधी आक्रामक अभियान बताया गया है, जिसमें माओवादी प्रभावित क्षेत्रों को निशाना बनाया जा रहा है।
- इस ऑपरेशन के कारण बड़े पैमाने पर हिंसा, गिरफ्तारियां और हत्याएं होने का दावा किया गया है।
मानवाधिकार हनन और हताहतों का आरोप
- 400 से अधिक माओवादी नेताओं, कार्यकर्ताओं और आदिवासी नागरिकों के मारे जाने का आरोप।
- महिला माओवादियों के साथ कथित तौर पर यौन हिंसा और फांसी देने का दावा किया गया है।
- बड़ी संख्या में नागरिकों की अवैध गिरफ्तारी और यातना देने का आरोप।
शांति वार्ता के लिए नक्सलियों की शर्तें
माओवादी प्रभावित जनजातीय क्षेत्रों से सुरक्षा बलों की तत्काल वापसी। नए सैनिकों की तैनाती पर रोक। भविष्य में कोई सैन्य विस्तार न किया जाए। उग्रवाद विरोधी अभियानों को निलंबित किया जाए।
सरकार पर आरोप
- आदिवासियों के खिलाफ “नरसंहार युद्ध” छेड़ने का आरोप।
- नागरिक इलाकों में सैन्य बलों के इस्तेमाल को असंवैधानिक करार दिया गया।
माओवादियों की अपील- सरकार पर दबाव बनाया जाए
- बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार संगठनों, पत्रकारों, छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं से सरकार पर शांति वार्ता के लिए दबाव बनाने का आह्वान।
- वार्ता के समर्थन में राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने की अपील।
वार्ता में शामिल होने की शर्तें
- अगर सरकार उनकी सुरक्षा बलों की वापसी और सैन्य अभियानों को रोकने की शर्त मानती है, तो माओवादी युद्धविराम की घोषणा करेंगे और बातचीत के लिए तैयार होंगे।