बड़वानी की स्नेहा राजेश दावदे ने महज 5 साल पहले हॉकी खेलना शुरू किया। अपनी बुआ पिंकी दावदे को हॉकी खेलते देख उन्हें इस खेल से प्रेरणा मिली। सेंटर हाफ पोजीशन से खेलने वाली स्नेहा ने अपनी मेहनत से एक साल में ही 5 नेशनल प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल जीते
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पिछले तीन साल से मध्य प्रदेश राज्य महिला हॉकी एकेडमी ग्वालियर में प्रशिक्षण ले रही स्नेहा नौवीं कक्षा की छात्रा हैं। कोच मुकेश राठौर के मार्गदर्शन में उन्होंने अपनी प्रतिभा निखारी। शुरुआत में संसाधनों की कमी थी, लेकिन कोच राठौर ने सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराईं।
स्नेहा की प्रतिबद्धता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह नियमित प्रशिक्षण के अलावा रोज दो अतिरिक्त घंटे अभ्यास करती हैं। 2022 में एक टूर्नामेंट के दौरान गेंद उनकी आंख पर लगने के बावजूद, टीम की मुख्य खिलाड़ी होने के नाते उन्होंने खेलना जारी रखा।
उसने आंख पर पट्टी बांधकर मैच खेला और टीम को जीत दिलाई। स्नेहा के पिता मजदूरी व मां लोगों के घरों में बर्तन मांजकर परिवार का पालन पोषण करते थे। इसके बाद भी उसके माता-पिता उसे खेलने के लिए हमेशा उत्साहित करते रहते हैं। कोच मुकेश राठौर ने बताया सेंटर हाफ टीम की रीढ़ की हड्डी होती है, जो टीम मेकर का काम करता है। वह दूसरी टीम से बॉल लेकर अपने खिलाड़ियों को देता है ताकि वह गोल कर सके। पूरे मैदान में जिम्मेदारी लेकर गोल करने के श्रेष्ठ खिलाड़ी होते हैं, जिनकी जिम्मेदारी एक टीम में बहुत जरूरी होती है।
आने वाले समय में हॉलैंड में होने वाली प्रतियोगिता में भाग लेने जा रही स्नेहा का अगला लक्ष्य ओलंपिक में भारत के लिए पदक जीतना है। वह लगातार अपनी तकनीक में सुधार कर रही हैं और कोच द्वारा बताई गई कमियों को दूर करने में जुटी हैं।